बार के महासचिव विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि भारतीय जनमानस में लोकप्रिय ध्यानचंद को भारत-रत्न दिए जाने संम्बंधित मांग को प्रधानमंत्री की अंतिम अनुशंसा के लिए प्रेषित करना हाकी प्रेमियों और भारतीयों की भावना के अनुकूल है, और हम पूर्णतः आशान्वित हैं कि प्रधानमंत्री इस लोकप्रिय खिलाड़ी को भारत-रत्न दिए जाने की मांग को अपनी अनुशंसा अवश्य प्रदान करेंगे और देशवासियों की भावना को तिरोहित नहीं होने देंगे। विजय पाण्डेय ने कहा कि इस विषय पर निर्णय में काफी विलम्ब हो चुका है लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय की जीत अवश्य होगी और निराशा का भाव देशवासियों के दिल से समाप्त होगा और हाकी के जादूगर को प्रधानमन्त्रीजी उसका स्थान अवश्य प्रदान करेंगें l
बार के पूर्व-महामंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता डी. एस. तिवारी ने कहा कि बार का संघर्ष फलीभूत हो रहा है यह हमारे लिए गर्व का विषय है और इसमें हम अंततः सफल होंगे ऐसा हमारा मानना है। तिवारी ने कहा कि लोकप्रियता के जिस शिखर पर मेजर ध्यानचंद विराजमान हैं उसके लिए भारत-रत्न से छोटा सम्मान मायने नहीं रखता । पी.के.शुक्ला ने सराहनीय प्रयास, आर.चंद्रा ने अनवरत संघर्ष का परिणाम और वरिष्ठ अधिवक्ता शमशाद आलम ने बार की बड़ी उपलब्धि बताते हुए माहमहिम की चिंताओं की सराहना की और कहा कि महामहिम ने बार की मांग पर गम्भीर रुख अपनाया इसके लिए पूरी बार माहमहिम के प्रति आभार प्रकट करती है ।
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