योगी सरकार में हिरासत में बढ़ती मौतें चिंताजनक : माले
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को कहा कि ठांय-ठांय व भ्रष्टाचार के प्रति कथित ‘जीरो टॉलरेंस’ वाली सरकार में यूपी दरअसल मानवाधिकारों की कब्रगाह और थाने भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। आजमगढ़ के पवाई थानाक्षेत्र के हाजीपुर कुदरत गांव निवासी जियाउद्दीन (36 वर्ष) को अम्बेडकरनगर जिले की पुलिस ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। परिजनों के अनुसार उनकी गिरफ्तारी बुधवार (24 मार्च) को हुई और 25-26 मार्च के बीच की रात हिरासत में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने ऐसे मामलों की पूर्व की कहानियों की तरह इसे भी बीमारी (दिल का दौरा पड़ने) से हुई मौत बताया, जबकि परिवारीजनों के अनुसार पुलिस की पिटाई से जियाउद्दीन की जान गई।
राज्य सचिव ने कहा कि खबर के अनुसार, मृतक के परिवारवालों का यह भी कहना है कि मुकदमे से उसका नाम निकालने के लिए पुलिस ने बतौर रिश्वत मोटी रकम की मांग रखी थी, जिसे देने में असमर्थ होने के चलते उसे पूछताछ के नाम पर ‘थर्ड डिग्री’ दिया गया और उसकी मौत हो गई। बाद में, पीड़ित परिवार व गांववालों के प्रतिवाद पर अकबरपुर थाने (अम्बेडकरनगर) में संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई और मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश हुआ।
माले नेता ने कहा कि योगी सरकार में पुलिस बेलगाम हो गई है। अल्पसंख्यक और दलित सरकार के निशाने पर हैं। संविधान और कानून को ताक पर रख दिया गया है। फर्जी एनकाउंटरों को सरकार भले ही उपलब्धि समझकर खुद की पीठ थपथपाने से न हिचकती हो, लेकिन ऐसी और जनतांत्रिक अधिकारों के हनन की कार्रवाइयों ने ही न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश को लोकतंत्र के सूचकांक में गोते लगवाया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आंकड़े गवाह हैं कि जबसे योगी सरकार आयी है, यूपी हिरासती मौतों में हर साल देशभर में अव्वल रहा है। यूपी एनकाउंटर प्रदेश बन गया है।
कामरेड सुधाकर ने अम्बेडकरनगर घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की। उन्होंने एनएचआरसी से इसका स्वतः संज्ञान लेने और पीड़ित परिवार को जल्द न्याय दिलाने की अपील भी की।
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