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डॉक्टर मोहम्मद अहमद नईमी
असिस्टेंट प्रोफेसर
डिपार्टमेंट ऑफ इस्लामिक स्टडीज
हमदर्द यूनिवर्सिटी
नई दिल्ली कुराने पाक अल्लाह की अंतिम किताब है जो अंतिम ईश दूत पैग़ंबरे इस्लाम पर अल्लाह की ओर से अवतरित हुई । कुरान मुख्यता अहिंसा ,मानवता , एकता , नैतिकता , साक्षरता , सदाचार , सद्व्यवहार और एक ईश्वर की पूजा करने की शिक्षा देता है और हिंसा , दानवता , अनेकता , दुराचार , व्यभिचार आदि की घोर निंदा और विद्रोह करता है । कुरान की शिक्षा , उपदेश और संदेश केवल मुस्लिम देश या मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण संसार और सभी वर्गों एवं संप्रदायों के लिए हैं । कुरान ऐसी महान एवं पुनीत ईश्वरीय किताब है कि जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए है । इस देश में रहने वाले हिंदुओं सिखों , ईसाइयों , बौद्धों और सभी संप्रदायों को यह बात अच्छी तरह अपने दिलो दिमाग पर नोट कर लेना चाहिए कि कुरान अथवा उसकी शिक्षा दीक्षा और तालीमात केवल मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि यह एक ऐसी श्रेष्ठ किताब है जिस से हर कोई कभी भी लाभान्वित हो सकता है । कुरान का सबसे अधिक महत्वपूर्ण संदेश विश्व भाईचारे का संदेश है । कुरान संपूर्ण मानव जाति को संबोधित करते हुए कहता है कि इस दुनिया में दंगा , फसाद पैदा ना करो , आपस में झगड़ा मत करो बल्कि संतोष एवं संयम करो । न तुम किसी पर जुल्म करो और न कोई तुम पर जुल्म करे । फूट न डालो , आपस में खून खराबा न करो । कुरान की नजर में जिसने किसी की जान बचाई उसने मानो सारी मानव जाति को जीवनदान दिया । और जिसने किसी एक इंसान का नाहक खून किया मानो उसने पूरे इंसानी समाज के खून करने के बराबर पाप किया । कुरान ऐसी किताब है कि जो भी बुद्धिजीवी या ज्ञानी न्याय और सच्चाई के साथ इसका अध्ययन करेगा वह कुरान की महान शिक्षा , उपदेश , नैतिक सिद्धांत से जरूर प्रभावित होगा । यही कारण है कि अन्य धर्मों के अनेक ज्ञानियों और बुद्धिजीवियों ने भी इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है और इसकी खूबियों , गुणों और पवित्र उद्देश्यों की बहुत सराहना की है । चुनांचे आर सी सक्सेना रिटायर्ड प्रिंसिपल इंटर कॉलेज मैनपुरी कहते हैं कि मैंने कुरान को कई बार पड़ा जिससे अंदाजा हुआ कि यह किताब तमाम इंसानों की भलाई में है । कुरान कट्टरपंथ , पक्षपात नहीं सिखाता बल्कि यह सारे संसार को पालने वाले की किताब है । लालाराम ऋषि मैनपुरी लिखते हैं कि कुरान एक मिलाजुला ग्रंथ है जैसे हवा , पानी , आग । यह किताब सबके लिए मानवता की किताब है इसमें बराबरी एकता और भाईचारे वगैरा की शिक्षा है । कुरान आखिरी किताब है इसमें किसी प्रकार का उलझाव नहीं है । साफ और सीधी बात कहती है । डॉक्टर योगेंद्र सिंह रिटायर्ड प्रिंसिपल मैनपुरी लिखते हैं कि मजहबी किताबों में कुरान सबसे आखिरी किताब है । इस्लाम ने समस्याओं का हल समाधान क्रियात्मक पेश किया है । इस्लाम हाकिम और महकूम , राजा और प्रजा के बीच जो संबंध प्रस्तुत करता है वह कोई दूसरा धर्म पेश नहीं कर सकता । जुल्म तो हिंदू राजा भी करते थे और इसाई बादशाह भी । फिर अगर मुस्लिम बादशाहों ने जुल्म किया हो तो उसकी जिम्मेदारी न इस्लाम पर है न कुरान पर । क्योंकि इस्लाम ने तो इंसानी बराबरी का बेमिसाल नमूना पेश किया है जिस पर चलने की जरूरत है । ऋषि भारती बिजनौरी लिखती है कि हमें इस्लाम से प्यार है । मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जो संदेश दिया है वह सभी संदेशों से बढ़कर है और इस्लाम सभी धर्मों से अच्छा धर्म है मैं भी इस्लाम के लिए कुछ करना चाहती हूं । रामसूरत यादव एम ए , एम एड पड़रौनवी लिखते हैं कि कुरान जहां तक मैंने पढ़ा है पाया है कि समाज में फैली हुई तमाम खराबियाँ और बुराइयां कुरान के पढ़ने और उसके अनुसार चलने से दूर हो जाती हैं । मैं यह साफ कहना चाहूंगा कि कुराने पाक केवल एक धर्म के लिए नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के लिए है और उसके व्यापक प्रचार और प्रसार की जरूरत है । अनूप कुमार श्रीवास्तव गोंडवी एम ए, बी एड लिखते हैं कि कुरान का तकरीबन आधा हिस्सा पढ़ चुका हूं इसमें मुझे कहीं भी मारकाट जुल्म व ज्यादती और अत्याचार नजर नहीं आया । मैं अरुण शौरी को जाती तौर पर खत लिखूंगा कि आप झूठ कहते हो और कुरान पर तुम्हारे आरोप गलत हैं । नहीं तो हवाले के साथ बताओ । पंडित शिव बाबू तिवारी दीवानगंजवी लिखते हैं कि मैंने कुछ हिंदी लिटरेचर इस्लाम के संबंध में पड़ा है मैं तो समझता हूं कि जीवन के हर क्षेत्र में चाहे पूजा पाट हो, चाहे समाजी मामला हो, चाहे आर्थिक मामला हो यहां तक की राजनीति के बारे में भी हमें ईश्वरीय ग्रंथ में नियम मिलते हैं । इंसान की पूरी जिंदगी अगर इस किताब के अनुसार हो जाए तो समाज सुधारा जा सकता है और शांति का वातावरण स्थापित हो सकता है । कुरान के संबंध में इस सत्य का जिक्र और उल्लेख करना भी अति आवश्यक है कि पैग़ंबरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के जमाने में जिस प्रकार कुराने पाक अपने असल रूप में था आज भी उसी सूरत में सुरक्षित है । इस सिलसिले में स्वामी विवेकानंद ने बड़ी ही अच्छी बात कही है । 1891 ईसवी की फरवरी में एक दिन स्वामी विवेकानंद जी अलवर राजस्थान पहुंचे , जहां के हिंदुओं और मुसलमानों ने उनका मिलजुलकर भव्य स्वागत किया । वहां के एक मुस्लिम विद्वान को स्वामी जी ने कहा था कि कुरान के बारे में एक बड़े पते की बात यह है कि बीते हुए सैकड़ों सालों से यह जैसा का तैसा है इस ग्रंथ या मजहबी किताब की शक्ल और सूरत जरा भी नहीं बदली है और उसकी असलियत या हकीकत में कोई फर्क नहीं आया है । निष्कर्ष यह कि हमारा देश भारत महान देश है इस देश की प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है कि इस देश में जुदा-जुदा फिरकों , संप्रदायों, अलग-अलग मजहबों और बेशुमार कोमों के लोग दूध और शक्कर की तरह मेलजोल और एकता से रहते चले आए हैं और रह रहे हैं लेकिन कुछ संप्रदायिक ताकतें अपने सियासी और निजी स्वार्थ की खातिर इस ऐतिहासिक एकता व मेलजोल को अनेकता और अशांति का रंग देना चाहती हैं । हिंदू और मुसलमानों के भाईचारे को खत्म करना चाहती हैं । जबकि वास्तविकता यह है कि कुरान और इस्लाम ने दुनिया के सामने प्रेम मोहब्बत भाईचारे का विश्वव्यापी सिद्धांत प्रस्तुत किया है ।