निजीकरण को बढ़वा देने के लिए बिदूत अधिनियम 2003 में आवश्यक संशोधन करने हेतु प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद् ने आज अनेको बिधिक सवाल उठाते हुए संसोधन को खारिज करने की मांग उठायी है । और भारत सरकार ऊर्जामंत्रलय को खुली बहस के लिए चुनौती दी हेे और कहा उपभोक्ता परिषद् सिद्ध करने को तैयार है यह संसोधन जनहित में नहीं है और इस बात पर चिंता वयक्त की की लगातार लोकसभा व राज्य सभा में सवालो के जबाब में बिजली के निजीकरण किए जाने को भारत सरकार का नीतिगत फैसला बताया जा रहा जो बहुत ही निंदनीय है क्या सरकार को यह नहीं मालूम की बिजली उत्पादन में निजीकरण की वजह से आज ज्यादातर राज्यों में बिजली की दरे आसमान छू रही और अब बिजली वितरण क्षेत्र का निजीकरण की साजिश प्रदेश व देश के उपभोक्ताओ को लालटेनयुग में ले जाने की बड़ी साजिश है जिसका हर ेस्तर पर बिरोध किया जाएगा ।
संशोधन प्रस्ताव में निजीकरण फ्रेंचाइजीकरन पर ज्यादा जोर दिया गया है सभी को पता है उत्तेर प्रदेश में निजीकरण के दोनों प्रयोग नोयडा पावर कंपनी व टोरेंट पावर की एक उच्च स्तरी जाँच उपभोक्ता परिषद् की मांग पर सरकार करा रही है थी जिसमे उपभोक्ता परिषद् की शिकायत सच साबित हुई वही उपभोक्ता परिषद् की एक याचिका पर निजीकरण कैसे उपभोक्ताओ के हित में है पर नियामक आयोग पहले ही फैसला सुनाकर पावर कार्पोरेशन से रिपोर्ट मांग चूका है जो बिचारधीन है ।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत अधनियम 2003 में जो संसोधन प्रस्तावित किया गया है एक बात सरकार को बताना चाहता हु बाबा साहब ने कहा था बिजली सस्ती नहीं बहुत सस्ती होना चाहिय और हमेसा सार्वजनिक क्षेत्र में होनी चाहिय जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था उस वक्त सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका अहम् थी और स्वता ऊर्जा मंत्रालय यह देख ही रहा था की वर्तमान विषम परिस्थितः में प्राइवेट सर्विस प्रोब्यिंडार जो एयरटेल सहित अन्यं सेटअप बॉक्स रिचार्ज न हो पाने पर अपनी सुबिधा बंद कर थे और जिसका नतीजा टीवी बंद । ऐसे में इससे बड़ा कोई उदहारण नहीं इसलिए इस संसोधन को खारिज किया जाना उचित है अथवा संसोधन से निजी क्षेत्र के बढ़ावा को हटाया जाय और वर्तमान में जो भी निजीघरानी पूरे देश में उत्पादन या वितरण के क्षेत्र में है उनका अनिवार्य रूप से सीएजी आडिट का प्राविधान भी लागू कराया जाना उचित होगा
उपभोक्ता परिषद् ने केंद्र सरकार ऊर्जा मंत्रालय को दी खुली बहस की चुनौती
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