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62 रामोत्सव का आठवां दिन,भिक्षुक बन रावण ने किया सीता हरण
लखनऊ। कहते हैं जहां रामकथा होती है वहां भगवान के भक्त कहीं से भी पहुंच जाते हैं। ऐसा ही नजारा बरहा, आलमबाग में चल रहे रामोत्सव-62 में नजर आ रहा है। दूर दराज के क्षेत्रों से भक्तजन रामलीला और कृष्णलीला का रसपान करने के लिए पधार रहे हैं। श्री त्रिलोकेश्वरनाथ मंदिर एवं रामलीला समिति के तत्वावधान में पिछली 5 अक्टूबर से चल रहे कार्यक्रम के आठवें दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। भव्य रामलीला पण्डाल के साथ झूले और दुकानें रामोत्सव को रमणीय बना रहे हैं और पण्डाल जहां दोपहर में वृंदावन बन जाता है वहीं रात में अवध के दर्शन करवाता है।
गुरुवार दोपहर को कृष्णलीला के सातवें दिन सुदामा चरित्र भाग-2 का मंचन किया गया। निर्धन ब्राह्मण सुदामा के घर साधनों का अभाव है और पत्नी सुशीला व बच्चों द्वारा सुदामा को बार बार निर्धनता के लिए परेशान किया जाता है। पत्नी सुदामा को मित्र द्वारकाधीश के यहां जाने को विवश करती है और और पोटली में चावल बांध कर घर से विदा करती है। मथुरा से आए आदर्श रामलीला एवं रासलीला मंडल की भावुक प्रस्तुति “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, दर पर सुदामा गरीब आ गया है” से भक्तजन द्वारिकापुरी के दर्शन करते हैं। सूचना पा कर कन्हैया दौड़ कर दरवाजे पर आते हैं और सुदामा को ले जा कर अपने सिंहासन पर विराजमान करते हैं। सुदामा के पग पखारने के बाद उनकी पोटली से दो मुट्ठी चावल खाते हैं कि रूक्मणी रोक देती है। श्रीकृष्ण बिना कुछ दिए सुदामा को विदा करते हैं और उदास सुदामा घरवालों को क्या मुंह दिखाऊंगा सोचता हुआ घर आता है। घर के स्थान पर महल देख कर सुदामा आश्चर्यचकित हो जाता है और जय श्रीकृष्ण के नारों से पण्डाल गुंजायमान हो उठता है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष रंजीव ठाकुर ने बताया कि शुक्रवार शाम को चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की घोषणा की जाएगी।
रात्री में रामलीला के आठवें दिन पंचवटी में कुटी छा कर राम, लक्ष्मण और सीता निवास करते हैं। सूर्पनखा लक्ष्मण पर मोहित होती है और गीत के माध्यम से विवाह प्रस्ताव रखती है। लक्ष्मण मना करते हैं तो वह उन्हें रावण का भय दिखाती है और क्रोधित हो कर लक्ष्मण सूर्पनखा के नाक कान काट देते है। इसी के साथ लीला में पहली बार रावण का दरबार सजता है और सूर्पनखा की हालत देखकर रावण क्रोधित होकर मारीच को बुलाता है। इसके बाद मारीच सुंदर स्वर्ण मृग का वेश धारण कर पंचवटी पहुंचता है। सीता उस मृग की शाला के बहुत तरीके से विनय करती है और लक्ष्मण को कुटिया की रक्षा करने को कह कर राम मृग की तलाश में निकलते हैं। हा भाई ! हा लक्ष्मण की पुकार सुनकर कर लक्ष्मण कुटिया के बाहर रेखा खींचते हैं और वन में चले जाते हैं। रावण साधु का वेश धारण करके भिक्षा मांगने सीता के पास आता है और अतंत सीता लक्ष्मण रेखा के बाहर आ जाती है। रावण सीता जी का हरण कर लेता है। लक्ष्मण राम को सकुशल देखते ही माजरा समझ जाते हैं और कुटिया वापस आते हैं। कुटी में सीता को ना पाकर और बाहर सीधा पड़ा देखते ही राम पछाड़ खाकर गिर पड़ते हैं। दोनों भाई सीता की खोज में निकल जाते हैं और पशु पक्षियों से सीता का पता पूछते है।