प्रधानमंत्री ओली, क्यों नहीं देंगे इस्तीफा, जाने पूरा मामला!

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Prime Minister Oli, why will not resign, knowing the whole matter!

काठमांडू। (Kathmandu ) नेपाल सुप्रीम कोर्ट  (Nepal Supreme Court ) द्वारा प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद) को बहाल करने के निर्णय के बाद भी कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा (KP Sharma ) ओली पद से इस्तीफा नहीं देंगे। वह फ्लोर टेस्ट का सामना करेंगे। उनके एक करीबी ने बुधवार (Wednesday) को इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि ओली सरकार की सिफारिश पर 20 दिसंबर को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (Vidya Devi Bhandari ) ने संसद भंग कर दिया था और चुनाव कराने की घोषणा की थी। इसके बाद से देश में देश में राजनीतिक संकट जारी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 69 साल के ओली ने स्थिति की समीक्षा करने के लिए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के कुछ सहयोगियों से मिलना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए आठ मार्च तक संसद का सत्र बुलाने का आदेश दिया है। ओली के करीबी सूर्य थापा (Surya Thapa) ने समाचार एजेंसी रायटर से कहा कि प्रधानमंत्री (Pm) इस्तीफा नहीं देंगे। इसे लेकर कोई सवाल ही नहीं है। वह संसद का सामना करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। भारतीय सीमा से सटे नेपाल के रूपनदेही, नवलपरासी, कपिलवस्तु सहित मधेश के 22 जिलों में विपक्षी नेताओं ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए इसे संविधान की जीत बताया है।  नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी सहित अन्य दलों के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह मोटरसाइकिल जुलूस व कैंडल मार्च निकाल खुशी का इजहार किया। नेपाल के बेलहिया, (Bellahia ) भैरहवा, (Bhairehba) बुटवल, (Butwal,) महेशपुर, परासी, (Maheshpur, Parasi ) लुंबिनी (Lumbini ) आदि शहरों में लोगों ने सड़कों पर आकर खुशी जताई।

पूर्व गृह राज्यमंत्री व नवलपरासी के सांसद देवेंद्र राज कंडेल (Devendra Raj Kandel ) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान व जनता की जीत बताया। कहा कि 20 दिसंबर 2020 को प्रतिनिधि सभा को भंग करने का निर्णय व विभिन्न संवैधानिक निकायों में की गई नियुक्तियां असंवैधानिक थीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया कि ओली सरकार का निर्णय पूरी तरह से गलत था। रूपनदेही के सांसद प्रमोद यादव (Pramod Yadav) ने भी फैसले को राहत देने वाला बताया। कहाकि प्रधानमंत्री को प्रतिनिधि सभा भंग करने का अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा भंग करने का निर्णय संविधान की मूल भावना के खिलाफ था। भैरहवा के विधायक संतोष पांडेय (Santosh Pandey) ने कहा कि यह नेपाली जनता की जीत है। नेपाल (Nepal) के लिए यह दिन ऐतिहासिक है। कोर्ट के निर्णय से संविधान विरोधी ताकतों की पराजय हुई है।

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