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फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा में भले ही मुख्य किरदारों केशव और जया का तलाक टॉयलेट बनाने के सरकारी आदेश से अंतिम घड़ी में रुक गया लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा की एक महिला फैसले से पीछे नहीं हटी. यहां न शौचालय बना और न महिला ने तलाक का फैसला वापस लिया.
पीड़ित महिला के वकील राजेश शर्मा ने बताया कि पीड़िता की शादी 2011 में हुई थी लेकिन ससुराल में शौचालय नहीं होने से खुले में शौच जाना पड़ता था. इस शर्मिंदगी से परेशान होकर पति को शौचालय बनाने के लिए कहा. पति ने शौचालय नहीं बनाया तो 20 अक्टूबर 2015 को भीलवाड़ा के पारिवारिक न्यायालय में तलाक की याचिका दायर कर दी.
अदालत ने आखिरकार अब पीड़िता की याचिका को स्वीकार कर लिया. अदालत ने खुले में शौच को मानसिक क्रूरता और महिला की गरिमा के खिलाफ मानते हुए तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली.
दूसरा मामला भी भीलवाड़ा का है. भीलवाड़ा के जहाजपुर के श्रंगारचंवरी और पीपलूंद गांव के बीच जहाजपुर के एसडीएम करतार सिंह ने लोगों को खुले में शौच करते देखा तो पहले समझाया नहीं माने तो पुलिस को मैके पर बुलाया.
पुलिस ने छह लोगों को लॉकअप में बंद किया. छह घंटे बंद रखा फिर 10 हजार के जमानत मुचलके पर छोड़ा. वो भी इस चेतावनी और वादे के साथ कि 10 दिन में घर में शौचालय बनाएंगे.
स्वच्छता अभियान की राह में ये कदम चाहे छोटे ही हों लेकिन समाज को झकजोरने में मील का पत्थर साबित होंगे.
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