लखनऊ में मद्धिम पड़ने लगी है सीपीएम के संघर्ष की बुनियाद बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं का इस्तीफा

0
82
लखनऊ में मद्धिम पड़ने लगी है सीपीएम के संघर्ष की बुनियाद
बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं का इस्तीफा

लखनऊ। देश में वामपंथ की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में शुमार होने वाली भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) इन दिनों दुर्दिन देख रही हैं। एक-एक करके इसके कार्यकर्ता दूर होते जा रहे हैं। अभी हाल ही में पार्टी के 27 कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देकर खुद को पार्टी से अलग कर लिया।
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का आरोप है कि वहां आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है। पार्टी ‘‘वन मैन शो’’ की स्थिति में है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि पार्टी के लिए यह स्थिति खुद इसके ही कुछ स्वयंभूू नेताओं के अहम के कारण हुई है। पिछले विधानसभा चुनावों तक पार्टी की लखनऊ में बेहतर स्थिति थी। पार्टी ने पिछले पंचायत और नगर निगम के चुनावों में करीब दर्जनों से से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा कर काफी व्यापक जनाधार बढ़ा लिया था। बीकेटी में 12 प्रधान पदों पर जीत दर्ज कराई थी । लाखों घरों में लाल झंडे के साथ कामरेड लाल सलाम की आवाज गूंजने लगी थी। लाखों लोग जुड़े थे, नतीजतन पार्टी का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा था। जनता के मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन, जन संघर्ष के साथ चुनावों में पार्टी के विचारों के साथ जनहित के मुद्दों को आगे बढ़ाने से दल की लोकप्रियता में इजाफा होता गया। स्कूल, कालेजों तक में पार्टी ने अपनी इकाईयां गठित करनी शुरू कर दी थी। विधान सभा के चुनाव में बीकेटी से जिस मजबूती से सीपीआई(एम) ने चुनाव लड़ा, उससे बड़े दलों में भी बेचैनी साफ देखी गई थी। परन्तु यह सब राज्य के शीर्ष नेतृत्व को अच्छा नहीं लगा। और धीरे-धीरे पार्टी नेे जनसंघर्ष के जुझारू पहचान बनाने वाले नेताओं को किनारे करना शुरू कर दिया। इसके पहले शिकार अपनी जुझारू प्रवृत्ति से पार्टी को नई ऊर्जा देने वाले डॉ. प्रदीप शर्मा बने। उन्हें पार्टी ने बगैर किसी आरोप के सचिव पद से बेदखल कर दिया। इसी तरह अन्य जुझारू नेताओं को पार्टी ने मुख्यधारा से अलग करना शुरू दिया। नतीजा यह है कि पिछले वर्ष पार्टी के एक तिहाई सदस्यों ने नवीनीकरण नही कराया था ।
हाल ही में  पुत्ती लाल , अरविंद कुमार , सरिता देवी , धीरेंद्र कुमार , गजराज , रंजीता , गुरुचरण ,अभिषेक श्रीवास्तव, राजकुमार सैनी, जयशंकर कश्यप, विकास कश्यप, धनंजय अवस्थी समेत दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपना इस्तीफा पार्टी जिला सचिव को सौंप दिया। धनंजय अवस्थी ने इस प्रतिनिधि को बताया कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं रह गया है। यहां जनता के बीच जाकर काम करने वाले कार्यकर्ताओं से परहेज किया जाने लगा है।  पार्टी राज्य सचिव हीरालाल और राज्य सचिव मंडल सदस्य  प्रेम नाथ राय ने अपनी हठ धार्मिता से पार्टी को बर्बाद कर दिया है । 75 साल के सांकेतिक कार्यकर्ता छोटेलाल पाल को कार्यवाहक सचिव बनाया है लेकिन रिमोट कंट्रोल राज्य केंद्र के ही पास है ।
यदि ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में पार्टी मात्र कार्यालय तक ही सीमित होकर रह जायेगी।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here