लक्ष्य संस्था की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऑनलाइन कवि सम्मेलन दीपावली के शुभ अवसर परके शुभ अवसर पर आज दिनांक 15 नवंबर 2020 को आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती सुमन मिश्रा, झांसी ने किया, मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध छंदकार श्री शरद पाण्डेय ‘शशांक’ व विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध गज़लकार कुँवर कुसुमेश रहे ।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन हास्य कवि आशुतोष तिवारी ‘आशु’ ने किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ युवा कवयित्री सुश्री निशा सिंह ‘नवल’ की वाणी वंदना से हुआ।
कवि सम्मेलन के प्रारंभ में हास्य कवि पंडित बेअदब लखनवी ने राजनीतिक उथल पुथल पर अपनी जोरदार गज़ल –
“तुम बनोगे जवाहर न गांधी कभी,
भूल बैठे हो तुम इनके नक्शे कदम ।
“बेअदब” को बदल दे जमाना कभी,
है कहाँ इतना यारों जमाने में दम ।” पढ़कर समा बांध दिया, तो
इसके पश्चात सुकवि मनमोहन बाराकोटी ‘तमाचा लखनवी’ ने सत्यता पर अपना यह गीत पढ़ते हुए कार्यक्रम को गति प्रदान की –
गलत काम से वह डरता है, जिसको इज्जत प्यारी है|
सही मार्ग पर चलने वाले की, होती छवि न्यारी है||
इसके पश्चात कवियत्री स्वधा ने यह कविता सुना कर लोगों के दिलों को जीत लिया :-
फिर उकेरे गए शिल्प पाषाण पर, मूर्तियां मंदिरों में लगाई गयीं
चाहता था जो पाना हृदय में जगह,उसकी मंदिर, प्रतिष्ठा कराई गयी।
इसके पश्चात दोहा सम्राट श्री केवल प्रसाद ‘सत्यम’ ने आज का गांव मोबाइल पर दिखाया जा रहा है यह सुन्दर दोहा पढ़ा :-
बलई बुधई रामधन, बैठ टीन की छाँव।
मोबाइल पर देखते, छप्पर नीम अलाव।।
प्रसिद्ध कवयित्री सुश्री निशा सिंह ‘नवल’ ने दीपावली पर यह सुन्दर कविता सुना कर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया :-
प्रेम के घी से चलो हम
दीप माटी के जलायें
बाँटकर खुशियाँ जगत को
द्वेष अंतर के मिटायें
इसके पश्चात हास्य कवि गोबर गणेश ने दीपावली पर यह कविता
सुनाई :-
दीप जले हर कहीं उजियारा हो
भारतवर्ष में कहीं भी अंधियारा ना हो
लक्ष्मी जी की हर किसी पर हो कृपा
धरती पर कोई सुदामा न धनहीन बेचारा हो।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन कर रहे हास्य कवि आशुतोष तिवारी आशु ने दीपावली पर यह कविता सुनाई :-
मिटा कटुता यहाँ उल्लास लायी ये दिवाली है.
दिलों में प्रेम के दीपक जलायी ये दिवाली है.
यहाँ ला शांति वा सौहार्द दुःख सबका मिटाने को,
खुशी लेकर सभी के पास आयी ये दिवाली.
कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध गजलकार कुँवर कुसुमेश ने यह दोहा सुनाया :-
प्यार मुहब्बत से रहे, सराबोर परिवेश।
मिलता है हर पर्व से, सबको यह संदेश।
कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध छंदकार शरद पाण्डेय ‘शशांक’ ने यह छंद
पढ़ें।
घर-घर मे दीपावली , का मनता है पर्व |
अधिक पटाखे दागकर,पाल रहे कुछ गर्व ||
मरा नही रावण अभी, वह बन गया विकार |
और धरा पर बस गया, आज सहित परिवार||
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती सुमन मिश्रा, झांसी ने अंतिम समय राम ऊपर यह कविता सुना कर लोगों को भक्तमय कर दिया।
प्रभु का अन्तिम दर्शन करने, थी ‘सुमन’ प्रजा में उथल पुथल।
प्रतिबिंब दिखा प्रभु का ऐसा,जल में बिकसा ज्यों नीलकमल।।
जब ज्योतिपुंज का विलय हुआ, आँखों में ठहर गया वह पल। उस दिव्यरूप को हृदय समा, सरयू का अमर हुआ कल कल।
अन्त में सभी कवियों अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन गोबर गणेश ने किया।
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