लखनऊ। महर्षि वाल्मीकि जयन्ती की पूर्व सन्ध्या पर वाल्मीकि आश्रम, गोमती तट, हनुमान सेतु, लखनऊ में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्यामलाल वाल्मीकि, सदस्य, राज्य सफाई कर्मचारी आयोग, उत्तर प्रदेश शासन व राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत में ही नहीं विश्व के बड़े महापुरूषों में महर्षि वाल्मीकि जी का नाम आदर और श्रृद्धा के साथ लिया जाता है। संसार की प्रथम भाषा संस्कृत के करोड़ों श्लोगों के रचियता संसार की समस्त विधाओं के स्रोत बेदांत के मूलकर्ता, एकता के प्रवर्तक, छद्म, शौम्यता, सामाजिक सद्भाव तथा सत्य के मार्ग पर चलने का जो आदर्श प्रस्तुत किया है, वह भारतीय संस्कृति, सभ्यता, साहित्य और समाज की अमूल विरासत है। ब्रह्माण्ड में मर्यादा स्थापित करने वाले संसार के प्रथम महाकाव्य वाल्मीकि रामायण के रचियता जगत्गुरू, त्रिकालदर्शी आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी है। महर्षि वाल्मीकि श्रीराम कथा के
माध्यम से अपनी अलौकिक प्रतिभा से हमारे वैदिक साहित्य में बताये गये मानव संस्कृति के साश्वत मूल्यों को ऐसा वर्णन किया है जो मानवीय होते हुए भी अनूठा और दिव्य लगता है। महर्षि वाल्मीकि केवल एक जाति अथवा एक वर्ग के गौरव के विषय नहीं हैं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र, समाज एवं पूरे विश्व के गौरव हैं। वाल्मीकि जी में हम सबकी श्रृद्धा है तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा लेते हैं। श्यामलाल वाल्मीकि ने मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्णय वाल्मीकि जयन्ती पर सभी जनपदों में रामायण पाठ करवाये जाने से वाल्मीकि समाज गौर्वान्वित हुआ है। उनका कहना है कि जिस प्रकार पवनसुत हनुमान जी के सीने में भगवान श्रीराम, जानकी निवास करते हैं उसी प्रकार मा0 मुख्यमंत्री जी के हृदय में वाल्मीकि समाज का स्थान है। गोष्ठी को मुख्य रूप से वाल्मीकि महासभा के प्रताप सिंह वाल्मीकि, डा0 सुधाकर वाल्मीकि, आशीष कुमार कंचन, चै0 महेश वाल्मीकि, सत्यवीर वाल्मीकि आदि ने सम्बोधित किया।
मानवता के लिए सौगात है वाल्मीकि रामायण महर्षि वाल्मीकि विश्व के गौरव
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