यह राक्षसीय विचार आख़िर आते कहाँ से हैं ?

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                                                                                                       निर्मल रानी
                                    सोशल मीडिया पर अपनी औक़ात दिखाने की एक और बेहद शर्मनाक व चिंताजनक घटना इन दिनों देश का ध्यान आकर्षित कर रही है। यह घटना देश के क्रिकेट जगत के दिग्गज खिलाड़ी तथा देश के खेल जगत का गौरव समझे जाने वाले खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी से जुड़ी है। ग़ौर तलब है कि धोनी इन दिनों आई पी एल मैच में चेन्नई सुपर किंग्स टीम की कप्तानी कर रहे हैं। पिछले दिनों कोलकाता में हुए एक मैच में चेन्नई सुपर किंग्स  की कोलकाता नाइट राइडर्स से पराजय क्या हुई कि ‘संस्कारी ट्रोलर्स ‘ ने अपनी औक़ात दिखानी शुरू कर दी। धोनी पर कई लोगों ने बेहूदे,अप शब्द व गली गलौज भरे कमेंट करने शुरू कर दिए। इंतेहा तो यह है  कि इसी क्रम में किसी बीमार मानसिकता वाले व्यक्ति ने धोनी की पत्नी साक्षी सिंह धोनी के इंस्टाग्राम पर उनकी 5 वर्षीय मासूम बेटी जीवा धोनी का बलात्कार करने की धमकी तक दे डाली। पूरा देश इस समय ग़ुस्से में है और यह देखकर अवाक् भी है कि आख़िर ऐसी बीमार मानसिकता रखने वाले युवा ट्रोलरज़ अपनी गन्दी मानसिकता से लोगों को कब तक परिचित कराते रहेंगे? इस धमकी के बाद जहाँ धोनी के रांची स्थित मकान व फ़ार्म हाऊस पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है वहीं धोनी के समर्थकों व खिलाड़ियों द्वारा रांची में ज़ोरदार प्रदर्शन कर इस तरह की धमकियों व ट्रोलिंग के विरुद्ध अपने ग़ुस्से का भी इज़हार किया गया है। बहरहाल साईबर विभाग ने अपनी पूरी चौकसी का परिचय देते हुए उस सरफिरे व्यक्ति को खोज निकला है तथा गुजरात निवासी इस युवक को गिरफ़्तार किये जाने का समाचार है।
                                   क़ानून व्यवस्था विशेषकर महिला उत्पीड़न,बलात्कार व नृशंस हत्या जैसे मामलों को लेकर देश इस समय एक अभूतपूर्व दौर से गुज़र रहा है। इस प्रकार की मानसिकता रखने वाले तथा ऐसी धमकी देने वालों के गंदे ज़ेहन में ज़ाहिर है पहले इस तरह के विचार आते होंगे तभी तो यह लोग उन गंदे व अमानवीय विचारों को सोशल मीडिया पर व्यक्त कर पाते हैं ? बड़ा आश्चर्य होता है कि मासूम अबोध बच्चियों के विषय में ये लोग इस तरह की कल्पना मात्र भी कैसे कर पाते हैं ? इनके संस्कार,इनका सामजिक परिवेश,इनकी मित्र मंडली के लोग आख़िर इनकी कैसी परवरिश करते है ? भारतवर्ष जिसके बारे में विश्वगुरु बनने के दावे किये जाते हैं,क्या देश में इसतरह के एक भी व्यक्ति के रहते हुए भारत विश्वगुरु कहलाने के योग्य है? हमारे देश में तो संस्कारों,प्राचीन शिक्षा पद्धतियों,धर्म व अध्यात्म आदि की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं। परन्तु धरातल पर इसका परिणाम तो हमें यही नज़र आता है कि कहीं स्वयं को भगवान बताने वाला कोई ‘महान संत’ बलात्कारी है और जेल में सड़ रहा है तो कहीं कोई धर्मगुरु व बलात्कारी नेता तमाम कुकर्मों के बावजूद अपने ऊँचे रूसूक़ की बदौलत आज़ाद घूम रहा है। कहीं कोई सांसद या विधायक बलात्कार में लिप्त है तो कहीं कोई उच्च अधिकारी। गोया महिला उत्पीड़न,महिलाओं का शारीरिक शोषण,बलात्कार आदि ऐसे चरित्रहीन लोगों का अधिकार हो गया है ? वैसे भी जब देश में बलात्कार पीड़िता या बलात्कार व सामूहिक बलात्कार के बाद बर्बर तरीक़े से की गयी हत्या के बाद भी पीड़िता व मृतक का धर्म जाति देखकर यह निर्णय लिया जाने लगे कि पीड़िता के पक्ष में खड़े होना है या बलात्कारी के पक्ष में,फिर तो इस देश से बलात्कार जैसी सोच व लानत को स्वयं भगवान भी नहीं ख़त्म कर सकता। मुमकिन है कि ऐसे ही बलात्कारी,दुष्कर्मी व अपराधी प्रवृति के यही ‘महापुरुष’ ऐसी गन्दी मानसिकता रखने वालों के ‘आदर्श पुरुष’ हों और इन्हीं से इन्हें ऐसे गंदे विचारों की प्रेरणा मिलती हो ? आज इन्हीं घटनाओं की वजह से ‘विश्वगुरु’ देश की गूँज संयुक्त राष्ट्र संघ तक में सुनाई देती है।
                                        बहरहाल,इस समय देश के प्रत्येक सुरक्षा व इंटेलिजेंस विभागों के साइबर सेल द्वारा ही अपनी ऐसी ही चौकसी के द्वारा सोशल मीडिया पर किये जाने वाली इस तरह की अभद्र टिप्पणियों व धमकियों पर लगाम लगाई जा सकती है जैसी कि उसने धोनी के मामले में दिखाई और यथाशीघ्र उसे गुजरात से गिरफ़्तार कर लिया। इसके पहले भी कई विशेष लोगों को अपशब्द कहने व उन्हें धमकी देने वाले कई अपराधियों के विरुद्ध भी ऐसी ही त्वरित कार्रवाई की जा चुकी है। निश्चित रूप से इस समय सोशल मीडिया का खुला मंच अनेक अपराधी मानसिकता रखने वाले लोगों के लिए ‘बन्दर के हाथ अस्तुरे’ जैसा साबित हो रहा है। गंदे विचार वाले या विचारहीन लोगों को पूरी आज़ादी मिल गयी है कि वे जिसे चाहें,जो चाहें कह सकते हैं। इसे नियंत्रित करने का यही उपाय है कि जिस किसी साधारण या असाधारण व्यक्ति के बारे में कोई भी सरफिरा सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर अपशब्दों,धमकियों या गली गलौच  का इस्तेमाल करे। और साइबर सेल को उसकी शिकायत मिले उसी समय फ़ौरन पूरी सक्रियता से कार्रवाई को अंजाम दे। देश के ऐसे सरफिरे लोगों को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा यह सन्देश दे देना चाहिए कि उनके हाथों में मोबाइल व नेट कनेक्शन होने का अर्थ यह नहीं है कि वे किसी को कभी कभी भी कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे लोगों को यह एहसास दिलाना ज़रूरी है उनके द्वारा की गयी कोई भी भद्दी,बेहूदी व धमकी भरी पोस्ट शिकायत मिलने के कुछ ही पलों में उन्हें सलाख़ों के पीछे पहुंचा सकती है। पिछले दिनों जब सर्वोच्च न्याययालय में एक टी वी चैनल द्वारा देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने संबंधी एक मामले की सुनवाई हो रही थी उस समय स्वयं भारत सरकार ने भी यह दलील पेश की थी कि टी वी चैनल्स से ज़्यादा बड़ा ख़तरा सोशल मीडिया है। फिर आख़िर सरकार इस प्लेटफ़ॉर्म पर आए दिन उंडेली जाने वाली घोर गंदिगी को रोकने के लिए सख़्त दिशा निर्देश क्यों नहीं जारी करती ?
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