महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक दिन पूर्व बेरोजगारी के खिलाफ हुआ झाडू सत्याग्रह
रोजगार बने मौलिक अधिकार अन्यथा बेरोजगारों को इच्छामृत्यु का अधिकार दे सरकार
आज युवा शक्ति संगठन के तत्वधान में शिक्षित बेरोजगार युवाओं द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों और विरोध दर्ज कराने के तरीकों को आत्मसात करते हुए राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ पर झाडू लगाकर बेरोजगारी के खिलाफ झाडू सत्याग्रह किया गया। लॉकडाउन के बाद देश में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर चुकी है जिस कारण लगभग 12 करोड लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश में 34 लाख युवा प्रदेश के श्रम और लेबर विभाग के अनुसार पंजीकृत बेरोजगार हैं तथा कुल बेरोजगारी की बात करें तो यूपी में आंकड़ा 21 प्रतिशत को पार कर चुका है यह आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के हैं जो कि गंभीर और भयावह स्थिति से हमें अवगत कराते हैं।गौरतलब है कि 24 लाख सरकारी पद देश में रिक्त है जिसपर भर्ती प्रकिया को लेकर सरकार मौन है जिससे करोड़ों प्रतियोगी छात्रों के सपने बिखर रहे हैं।वहीं रेलवे तथा अन्य सरकारी उपक्रमों में जारी निजीकरण की प्रक्रिया युवाओं के सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लक्ष्य को बाधित कर रही है और बेरोजगारी को बढ़ा रही है।
आजादी के 73 वर्षों बाद भी रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने का प्रस्ताव अधूरा है। संगठन द्वारा विगत वर्षों से शिक्षित बेरोजगार युवाओं को मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी देने हेतु नेताजी सुभाषचंद्र बोस रोजगार कानून का मसौदा तैयार किया गया है ।परंतु दुर्भाग्य है इस मसौदे को ज्ञापन के रूप में लेने को सरकार तैयार नहीं है।आज रोजगार के सीमित होते अवसरों के कारण शिक्षित युवा पीढ़ी की स्थिति पीड़ादायक है, अपने सुनिश्चित भविष्य को लेकर आशंकित है ।देश की 65 फीसदी युवा आबादी को आर्थिक रूप से सबल बनाने की दिशा में 2014 से आयी केंद्र की सरकार युवाओं को पकौड़े बनाने की सलाह दे रही है यह एक गैरजिम्मेदाराना और निराशाजनक है।
हमारी मांग
1: रोजगार बने मौलिक अधिकार
2:मनरेगा की तर्ज पर शिक्षित बेरोजगारों के लिए बने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून
3:देश में रिक्त पड़े लगभग 24 लाख सरकारी पदों को समयबद्ध तरीके से भरने के लिए अध्यादेश लाया जाए।
4:आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाए हुए सरकारी कार्यों हेतु निकलने वाली निविदाओं (ठेका कार्यों)में युवाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
इन मांगों के साथ विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों से भी हम कहना चाहेंगे कि रोजगार को सिर्फ मुद्दा नहीं बनाए बल्कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग का समर्थन करें। अनुच्छेद 21 भारत के नागरिकों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देता है परंतु बिना रोजगार सुनिश्चित हुए वर्तमान परिवेश में सम्मानजनक जीवन जीने की कल्पना हम कैसे कर सकते हैं यह तो कहीं ना कहीं जीवन जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है ।संयोजक गौरव सिंह ने कहा कि आज देश में हर वर्ष एक करोड़ स्नातक शिक्षित युवा तथा 15 लाख इंजीनियरिंग के युवा डिग्रियां पूर्ण कर रोजगार की तलाश में आ रहे हैं जबकि नौकरियां इन के अनुपात में ना के बराबर हैं । आज देश की अर्थव्यवस्था माइनस में जा चुकी है। परंतु सरकार इस पर चिंता तो दूर चिंतन तक करने को तैयार नहीं है ।बेरोजगारी के कारण 18 वर्ष से 35 वर्ष के युवाओं में अवसाद व अपराध की मनोवृत्ति तेजी से बढ़ रही है । उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जो कि रोजगार के अभाव में पलायन की प्राथमिक पाठशाला बन चुका है । सहसंयोजक सरफराज अहमद ने कहा कि सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिएसरकारीसंस्थाओं ,कंपनियों,उपक्रमों का निजीकरण करने में लगी है ताकि सस्ती दर पर श्रम उपलब्ध कराने के लिए निजी करण की नीति पर सरकार चल रही है । यह सरकार पूर्ण रूप से उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या और भयावह होती जा रही है । आज देश में बेरोजगारी व बेकारी की स्थिति गंभीर है ,सरकार को युवाओं में स्किल व स्केल बढ़ाने की जरूरत है। आज इस कार्यक्रम में संयोजक गौरव सिंह, सहसंयोजक सरफराज अहमद, पूर्व छात्र नेता प्रदीप सिंह सिंह ,मोहम्मद अहमद,एडवोकेट जयप्रकाश,मंगल यादव,प्रशांत चौबे,विकास चौधरी,शिवम् सिंह,सुधीर,रमेश, अमित ,जयहिंद तथा बड़ी संख्या में युवा साथी शामिल रहे।
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