अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में अमुवि के यूजीसी मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवाई तथा सेंटर फार वीमेन स्टडीज की डा० जूही गुप्ता द्वारा संपादित 17 लेखों पर आधारित एक पुस्तक वीवा बुक्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गयी है।
अमुवि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने पुस्तक के लिए प्राक्कथन का योगदान दिया है, जबकि परिचय प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई तथा डा० जूही गुप्ता द्वारा लिखा गया है।
पुस्तक में जिन विद्वानों के लेखों को सम्मिलित किया गया है उन में प्रोफेसर डैविड लेलीवेल्ड (यूएसए), प्रोफेसर गेल मिनाल (यूएसए), डा० कैरिमो महोमेद (पुर्तगाल), डा० ज्योफ्री नैश (यूके), प्रोफेसर यासमीन सैकिया (यूएसए), डा० अंबर एच० अब्बास (यूएसए), डा० प्रोफेसर एलन गुएंथेर (कनाडा), सारा ए० किदवई (कनाडा), चार्ल्स रामसे (यूएसए) के अतिरिक्त अमुवि के प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई, प्रोफेसर शाफे किदवई, डॉ राहत अबरार, प्रोफेसर आयशा मुनीरा रशीद, डॉ गुलफिशां खान, डॉ फाएजा अब्बासी तथा श्री तारिक हसन (अलीगढ़) एवं डा० तौसीफ ए० पर्रे (जम्मू कशमीर) शामिल हैं।
प्रोफेसर ए०आर० किदवई ने बताया कि एएमयू को गत एक दशक में लगातार देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों के बीच स्थान प्राप्त हुआ है और इसने वंचित वर्ग के छात्रों की कई पीढ़ियों को ज्ञान और जीवन कौशल प्रदान करके सामाजिक इंजीनियरिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त की है। अपने आवासीय हालों के लिए प्रसिद्ध यह संस्था अपने हजारों छात्रों के बीच आजीवन सौहार्दपूर्ण संबंधों के बंधन को स्थापित करती है जिनमें से कई लोगों ने दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाई है। यह संस्था भारतीय मुसलमानों के लिए उत्कृष्ट पहचान का एक प्रतीक रही है जहां से देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से लेकर एफएनए वैज्ञानिक, पद्म और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, सार्वजनिक हस्तियां और कानूनी और साहित्यिक विद्वानों ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
330 पृष्ठों पर आधारित यह पुस्तक अमुवि के विकास, इतिहास और उपलब्धियों को प्रकाश में लाती है। इस के अतिरिक्त पुस्तक में डा० राहत अबर द्वारा संकलित अमुवि के प्रमुख पूर्व छात्रों की एक परिशिष्ट भी सम्मिलित की गयी है।