रिपोर्ट- अमन पाण्डेय सुल्तानपुर
सुलतानपुर – जहां एक तरफ कोरोना काल के साथ साथ बरसात के मौसम में संक्रमण उफान पर है, और नई नई बीमारियों से प्रभावित हो कर सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों में लोगों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ ग्रमीण क्षेत्रों में नियुक्त सफाई कर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इन्हें न तो सरकारी फरमानों से कोई मतलब है, और न ही अपने मातहतों का कोई भय, इन्हें मतलब है केवल हर माह अपने वेतन भर से।यही नहीं ये अपने बिभाग तथा मौजूदा ग्राम प्रधान से मिलीभगत कर अपने स्थान पर क्षेत्र के दूसरे दिहाड़ी मजदूर को पकड़ कर साल छ महीने में एक दो बार सफाई करवा कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। और गांवो, कस्बों व बाज़ारों में चाय पान की दुकानों पर राजनीति करते देखे जा सकते हैं।हम बात कर रहे हैं, विकास खण्ड कूरेभार के मदन पुर गांव की जहां कोरोना काल में भी नालियां छः माह से पूरी तरह चोक होकर बजबजा रही हैं, तथा खर पतवार से ढकी हुई हैं। देखने पर यही नहीं पता चलता कि, नाली है, या कुछ और। बताते चलें अभी हाल में ही गांव में कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव भी हुए थे, फिर भी न तो घरों को सेनेटाइज किया गया और न ही साफ सफाई की गई, जिससे ग्रामीणों में संक्रमण का भय बना हुआ है।इसी गांव के गंगेश पांडेय, प्रभाकर पांडेय,शैलेश पांडेय,अमन पांडेय,राहुल पांडेय तथा गौरव पांडेय ने बताया कि, हमारे यहां राजेन्द्र यादव सफाई कर्मी नियुक्त हैं, जो छः माह से कभी गांव में नहीं देखे गए। यही नहीं कितने लोगों को तो यह भी नहीं पता कि, हमारे गांव में कौन सफाई कर्मी नियुक्त है।