पुनीत कुमार शुक्ल
ब्यूरो रिपोर्ट अवधनामा सुल्तानपुर
सुलतानपुर।जहां एक तरफ सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा अन्न की उपज बढ़ाने के लिए प्रेरित कर उनको तकनीकी खेती बाड़ी करने की लगातार कवायद करती रहती है। वहीं दूसरी तरफ नहर विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा ठेकेदारों की मिली भगत के चलते सरकार के फरमानों को पलीता लगाया जा रहा है। जिसका खा मियाजा सीधे किसानों को भुगतना पड़ रहा है।हम बात कर रहे हैं,कूरेभार के धनजई – नचना, सागरपुर पुरखीपुर ,हरनाम का पुरवा-देवदासपुर,सरैया दखिनवारा तथा धनजई से मझौआ माइनर की। जो पूरी तरह से झाल झनखारों से पटी पड़ी है, और उसमें बूंद भर पानी भी नहीं है।ठेकेदारों द्वारा विभाग से मिली भगत कर कागजों पर तो हर वर्ष सफाई कर दी जाती है, और पैसा डकार लिया जाता है। लेकिन हकीकत तो यह है कि, सफाई कभी होती ही नहीं है।दर्जनों गांवों के किसान सरैया मझौआ, कादीपुर, तिवारीपुर, पटना, रुषहा, मठिया, जोगिबीर, देवदासपुर,जिया पुर, सेमरा, नचना, पुरखीपुर, इछुरी, चतुरपुर, दुबे का पुरवा,गौहानी धोबीभार आदि दर्जनों गांवों के सैकड़ों किसान मंहगे डीजल खरीद कर धान की फसलों की सिंचाई करने पर मजबूर है।
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