शुआट्स द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गेहूँ की कटाई कर चुके किसानों से अवशेष न जलाने की अपील की गयी है।
प्रयागराज ; प्रभारी केवीके डा.एस.डी. मेकार्टी ने कहा कि सामान्यतः किसान भाई गेहॅू व धान की कटाई कम्बाइन से करने लगे है इस कारण देखा ये जा रहा है कि आनाज पाने के बाद फसल के जो अवश्ेाष खेत में रह जाते है उसे किसान भी खेत मे जला देते है। पराली जलाने से मृदा में पाये जाने वाले जीवांश नष्ट हो जाते है। तापमान से मृदा की संरचना बिगड़ जाती है जिसका असर अतंतः उत्पादन मे दिखता है। मृदा ठोस व कड़ी हो जाती हैं जिस कारण खेत का पानी खेत में जितना रूकना चाहिये उतना रूकता नही है। पराली जलाने से खेत की नमी खत्म हो जाती है जिस कारण जोताई से पहले किसान को खेत में पानी लगाना पड़ता है। पराली से निजात पाने के कई तरीके सुझाये गये।
अपील में सुझायी गई विधि अनुसार उत्पादन खलिहान में पहुचाने के पश्चात किसान के खेत में नमी बनी रहे उसी समय यूरिया 40-50 किग्रा.प्रति हेक्टयर की दर से पूरे खेत में एक बराबर बिखेर के मिट्टी पलट हल या तवे वाले हल से गहरी जुताई कर दें। इससे फसल के अवशेष 10 से 15 दिन में सड़़ जायेगा। इससे खेत में आर्गेनिक पदार्थो की बढत होगी जो फसल उत्पादन में लाभ कारी सिद्ध होगा।
कार्बाइन हार्वेस्टर से गेहॅू की कटाई के बाद किसान स्टॅªा कम्बाइन का प्रयोग करके खेत में पड़े अवशेष को असानी से एकत्रित कर सकते व स्टॅªा कम्बाइन से ही उसका भूसा बनाकर चारें के रूप में प्रयोग कर सकते है। इसके उपरान्त खेत की गर्मी में होने वाली गहरी जोताई की जा सकती है।
किसान, बेलर के प्रयोग करके खेत में पड़े हुऐ अवशेष को यह यन्त्र 8 घन फीट के गठठर बांधकर पैकेट के रूप में खेत में गिराता है जिससे की जो पैकेट खेत में गिरे है उसे आसानी से उठाया जा सकें। जिससे सम्पूर्ण खेत अवषेष मुक्त कर सकते है। किसान भाईयो से अनुरोध है कि आप को पराली जलाने के दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया है।
वैज्ञानिक डा.जी.पी.एम.सिंह ( कृषि अभियंत्रण) ने किसानों को उक्त सुझाव दिया एवं अपनाने के लिये जागरूक भी किया। यह देखा जा रहा है कि जो भी किसान इस तकनीक को अपना चुके है वो अब दूसरो को प्रेरित कर रहें है।
डा.एस.डी. मेकार्टी ने यमुनापार के किसानों को इस विधि को अपनाने के लिये आभर व्यक्त किया तथा अन्य किसानों को इस सुझाव का फायदा उठाने के लिये जागरूक किया । इस कोरोना संकट महामारी की घड़ी में किसान जब अपने खेतों पर काम कर रहें है तो उन्हें आपस में कम से कम 1 से 2 मीटर की दूरी तथा मुॅह पर मास्क या गमछा बांधना चाहिये तथा समय समय पर अपने हांथों व मॅुह को साबुन से धोना चाहिये । इसके साथ ही साथ अपने घरों में ज्यादा से ज्यादा रहने का निवेदन किया। जिससे सभी किसानों का परिवार स्वस्थ रहें।