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डॉ। असद अब्बास
कोरोना एक वैश्विक महामारी है। पिछले कुछ दिनों में इसने पूरी दुनिया में अपने पैर पसारे हैं और हमारे देश में न इसने सिर्फ़ दस्तक दी है बल्कि इसके प्रकोप तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। दूसरे देशों के पिछले अनुभव को देखते हुए आज नहीं तो कल इसका असर सीधे या परोक्ष रूप से हर भारतीय पर पड़ने की सम्भावना है।
आज इस बीमारे से लड़ाई में प्रमुख तौर पर चिकित्सक, स्वास्थ्यकमी्र, सफ़ाई कर्मचारी, पुलिस कर्मी, मीडिया के लोग, आवश्यक वस्तु से सम्बंधित व्यापार से जुड़े लोगों का सीधा योगदान है।
यहां पर यह कहना आवश्यक है कि इनके अतिरिक्त समाज के हर व्यक्ति के सहयोग के बिना ये लड़ाई नहीं जीती जा सकती। अपने को इस बीमारी से बचाने के स्वास्थ्य कर्मियों और सरकार द्वारा बताये उपायों का पूर्ण रूप से पालन करना ही इस बीमारी से लड़ने और जीत पाने में सहायक होगी।
इस रोग की एक विशेषता यह है कि यह एक नया वायरस है जो अभी तक की जानकारी के अनुसार प्रमुखता से रेस्पीरेटरी सिस्तम को प्रभावित करता है।
ये शरीर के और अंगों को किसी प्रकार प्रभावित करता है ये अभी रिसर्च का विषय है।
हमारे देश में इस बीमारी से लड़ने की कोशिश जारी है परन्तु आने वाला समाज का तय करेगा कि हमें कितनी कामयाबी मिली।
इस बीमारी के सम्बन्ध मंे कुछ जानकारी जो हर व्यक्ति और साथ में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिये आवश्यक रेव वक समाचार पत्र से माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास है।
कोविड 19, कोरोना वायरस परिवार का एक नया वायरस है जो अभी तक की जानकारी के अनुसार बहुत तेज़ी से फैलने वाला रेस्पीरेटरी सिस्टम को संक्रमित करने वाला वायरस है। ये बहुत तेज़ी से रोगी के सम्पर्क में आने वाले नार्मल व्यक्तियों को संक्रमित करता है।
अभी तक की जानकारी के अनुसार से इनफेक्शन की प्रमुख लक्षण हैं –
बुख़ार
सूखी खांसी
शरीर में दर्द
नाक का बहना
कमज़ोरी लगना
पेट का ख़राब होना
सांस का फूलना/सांस लेने में परेशानी होना
एक रोगी व्यक्ति से सम्पर्क होने और नये व्यक्ति में लक्षण आने का समय सामान्यतः 4-14 दिन देखा गया है।
ऊपर लिखे गये लक्षण हमारे देश में सामान्य वायरल बुखार में भी देखने सम मिलते हैं इसलिये कोरोना की सम्भावना उसी समस्या मानी जानती है यदि 1. रोगी ने पिछले कुछ दिनों में किसी कोरोना संक्रमित देश की यात्रा सव हो या 2. किसी कोरोना रोगी के निकट सम्पर्क में आये हो। 3. या किसी ऐसी व्यक्ति के सम्पर्क में आये हो जिसने कोरोना संक्रमित देश की यात्रा की हो।
इस लेख के लिखे जाने तक स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो अभी हमारे देश में कम्युनिटी स्प्रेड की पुष्टि नहीं की गयी है इसलिये ऊपर लिखे गये फीवर के मरीज़ों के अलावा अन्य बुखार पीड़ित में कोरोना की सम्भावना कम है अतः उन्हें सावधानी रखनी है परन्तु उनका कोरोना टेस्ट अनिवार्य नहीं है।
पाठकों को ये भी समझाने की आवश्यकता है कि अभी तक विश्व स्तर पर जो आंकड़े हैं उनमें से बीमारी के गम्भीर लक्षणों के होने की सम्भावना 20 प्रतिशत तक है, 80 प्रतिशत रोगी हलके बुखार जुक़ाम के लक्षणों के साथ ठीक हो जाते हैं।
यहाँ पर ये प्रश्न आता है कि अगर ऐसा कोई तो विश्व भर में इतनी घबराहट क्यों है इसके कारण हैं।
1. यह वायरस नया है अतः अभी इसके पूर्ण लाखों और जटिलताओं के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। रोज़ नयी जानकारी और आंकड़े आ रहे हैं।
2. इस वायरस की दूसरों को संक्रमित करने की दर और तेज़ी अन्य वायरस की अपेक्षा बहुत अधिक है इसलिये यह इतना कम समय में पूरे विश्व में लाखों लोगों को प्रभावित कर चुका है।
3. इस वायरस के इतने तेज़ फैलने से रोगियों की बढ़ती संख्या अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों की चिकित्सा व्यवस्था को खण्डित कर सकती है।
4. यह वायरस अधिक उम्र के लोगों और दूसरी बीमारियों जैसे हार्ट, लीवर, लंग्स, किडनी की बीमारियों से ग्रसित लोगों में तेज़ी से जटिल रूप लेता है।
5. इस रोग का न अभी तक कोई वैज्ञानिक तौर पर सटीक उपचार है और न कोई टीका उपलबध है। अभी इन सब बिन्दुओं पर रिसर्च चल रही है।
6. जिस तरह से चिकित्सा प्रकरण और साधन चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों को इसे लड़ने के लिये चहीते जैसे मास्क/टी0पी0ई0/ग्लवस और मरीज़ों के लिये वेन्टीलेटर्स वो विकसित देशों में भी उस अनुपात में उपलब्ध नहीं है।
अभी इस स्थिति में जब ये रोग हमारे देश में भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं हमारी सरकार ने जो निर्णय विशेषज्ञों की राये से लिये हैं उसमें सहयोग करना हम सब की जिम्मेदारी है। जैसा मैंने बताया अभी तक इस बीमारी में कोई कारगर इलाज नहीं तो इसको बढ़ने न देना ही इसका इलाज है। ऐसे में हम क्या करें और क्या न करें।
क्या करें –
1. लाकडाउन/जनता कफ्र्यू से पुर्ण रूप से पालन करें। जैसे कुछ लोग कफ्र्यू पास को घूमने का लाइसेंस समझ रहे हैं तो ये सही नहीं है क्योंकि कफ्र्यू पास मात्र आवश्यक सेवाओं से जुड़े व्यक्तियों के लिये है। आपका घर से बाहर निकलना आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा के साथ देश और समाज की सुरक्षा के लिये है। प्रशासन जो अथक प्रयास इसके लिये कर रहा हैं वो वास्तव में अपने स्वास्थ्य से ज्यादा आपके स्वास्थ्य और कुशलता की फिक्र कर रहा है।
2. अपने हाथ को बार बार साबुन पानी से धोते रहें। अलकोहल बेस्ड सैनिटाइज़र का प्रयोग तभी करें जब साबुन पानी उपलब्ध न हो। अलकोहल बेस्ड सैनिटाइज़र तभी कारगर है जब 65 प्रतिशत से ज़्यादा अलकोहल कन्टेन्ट हो।
3. खांसी या छींक आने पर मुंह पर कपड़ा रखें या टिशू का प्रयोग करें। खांसने या छींकने के बाद हाथ को धो लें।
4. इनमें से कोई भी लक्षण होने पर अपने घर में रह रहे वृद्ध लोगों और बीमार व्यक्तियों से दूरी बना लें।
5. लक्षण बढ़ने पर सरकारी हेल्पलाइन नम्बर या फ्लू क्लीनिक से सम्पर्क कर के निर्देशों का पालन करें।
क्या न करें –
किसी प्रकरण के तनाव से ग्रसित न हों
टी0वी0 पर या सोशल मीडिया पर अत्यधिक कोरोना सम्बंधित बातों को न पढ़ें। केवल सरकारी और सही जानकारी वाले वेबसाइट और टी0वी0 चैनल सव न्यूज़ पर भरोसा करें।
परिवार और दोस्तों के फोन और सोशल मीडिया के ज़रिये सम्पर्क बनाये रखें।
अच्छा और पौष्टिक भोजन करें। फल और सब्जियां यदि आसानी से उपलब्ध है तो अधिक मात्रा में सेवन करें। पानी खूब पियें। अधिक प्रोटीन वाली डाइट लें।
हलकी फुलका शारीरिक व्यायाम, कसरत करते रहें।
अच्छी नींद लें, अपने परिवार के साथ अच्छा समय बितायें और ये प्रयास करें कि किसी भी सम्पर्क के व्यक्ति में नकारात्मक विचार न आये।
स्वास्थ्य कर्मियों चिकित्सकों को सफ़ाई कर्मचारियों मीडिया के लोगों, आवश्यक सुविधाओं के जुड़े लोगों और विशेषकर पुलिस प्रशासन के लोगों का उत्साह बढ़ायें। उनका सहयोग करें और उनके कामों में रूकावट न बनें।
एक सबसे आवश्यक काम इस संकट में गाड़ी में अपने आस पास रह रहे ऐसे लोगांे के ध्यान रखने का है जो गरीब वर्ग से आते हैं और जो रोज़ कमाने और खाने वाले हैं। हम सभी का कर्तव्य है उनमें से कोई भी भूखा नहीं रहे। अगर हर सक्षम व्यक्ति मात्र अपने आस पास से व्यवस्था बना ले तो हमारे देश पर इस विपदा में आने वाला आर्थिक संकट टल सकता है। ऐसे में सरकार अपनी व्यवस्थाओं को विशेष कर चिकित्सा सेवाओं को सुधारने की ओर अधिक ध्यान दे सकती है।
आज हम 130 करोड़ भारतवासी एकजुट होकर इस संकट को दूर कर सकते हैं और पूरे विश्व को ये संदेश दे सकते हैं कि लोगों का आपसी सहयोग और एकजुटता की शक्ति इस अदृश्य शत्रु को परास्त कर सकती है।
आज एक प्रमुख समस्या हमारे समाज यानी मुस्लिम भाईयों की तरफ़ से आ रही है। उनकी तरफ़ से इस लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को ठीक से न समझ पाने की खबरे मीडिया में लगातार आ रही हैं।
इस मीडिया ट्रायल के दौर में हमें कोई ऐसा मौक़ा नहीं देना चाहिये जिससे लगे कि हम कुछ अलग सोचते हैं।
हमें पूरी तरह से प्रशासन से सहयोग करना चाहिये और हर बात को मानना चाहिये।
समाज के जिम्मेदार लोगों का यह फर्ज़ है कि अपने आस पास के लोगों को इस बीमारी और इससे बचाव के बारे में बतायें। लोगों को बतायें कि इस समय घर में नमाज पढ़ें मस्जिद जाने से बेहतर है। किसी तरह से मजहबी इजलास या तक़रीब इस वक़्त हलाकत का सबब है। मुस्लिम मुल्कों ने भी यही फैसला लिया है। ख़ानए काबा में उमरा को रोक देना ईरान, इराक, सऊदी अरब में मस्जिदों में जाने से परहेज़ करना इस बात की दलील है।
ऐसे भी इस तरह की महामारी से निपटने के लिये अल्लाह के नबी की हदीस मौजूद है।
हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स0अ0 के ज़माने में जब अरब में ऐसे ही प्लेग या तव्वुन की बीमारी फैलाई थी तब आप ने यही हुक्म दिया था कि जो जहां है वहीं रहे न कोई उस जगह जाये जहां बीमारी है और न कोई उस बीमारी की जगह से बाहर आये।
हम लोगों को ये समझना चाहिये कि इससे बेहतर क्वेरेन्टाइन/जनता कफ्र्यू/लाकडाउन का एक्सपलेनेशन और क्या हो सकता है।
दूसरी हदीस ये है कि जिसमें ये कहा गया है कि जिसको भी एक दूसरे के कान्टेक्ट से फैलने वाली बीमारी है उसे तंदुरूस्त लोगों से दूर रखा जाये। ये मेसज उन लोगों के लिये है कि जो सोशल डिसटेंसिंग को नहीं समझ पा रहे हैं।
आखि़र में उन लोगों के लिये जो ये कहते हैं कि सिर्फ़ दुआ से इस बीमारी से बचा जा सकता है उन्हें ये समझना चाहिये कि बेशक शिफ़ा देने वाला अल्लाह है लेकिन बिना इंसान की कोशिश के क्या ये हो सकता है। एक वाक़या यहां पर अहम है।
एक बार हजरत मोहम्म्द मुस्तफ़ा के पास आया और अपने ऊँट को रोक कत आपके पास मस्जिद में आया। आपने उससे कहा जाओ और अपने ऊँट को दरख़्त से बांध दो। उसने कहा उसे अल्लाह पर भरोसा है। आपने उस वक़्त उससे यही कहा कि बेशक अल्लाह हिफ़ाज़त करने वाला है लेकिन उसने तुमको ये अक्ल दी है कि पहले अपने ऊँट को सही और महफूज़ जगह बांधो।
एक बात और हमें हिस्ट्री से सीखने की है 1918 से 2020 में स्पेनिश फ्लू के स्पेन में फैलने का एक कारण आज भी यही माना जाता है कि उस समय कुछ धार्मिक संस्थाओं ने मेडिकल एडवाइस को नहीं माना और अपने धार्मिक कार्यक्रमों को स्थगित नहीं किया। जिसके कारण सबसे ज़्यादा तेज़ी से वो बीमारी वहीं पर फैली और सबसे ज़्यादा लोगों की मौत भी वहीं पर हुई।
इसलिये हम सब लोगों को अल्लाह की बारगाह में अइम्माए मासूमीन अ0स0 के सदके़ में दुआ करनी चाहिये कि जल्द से जल्द पूरी दुनिया से बीमारी पर फतहयाब हो और साथ ही इस बीमारी से लड़ने के लिये जो मेडिकल साइंटिस्ट और सरकार ने उसूल बनाये हैं उनका सख़्ती से पालन करना चाहिये।