लखनऊ। लोहिया संस्थान को झटका लगा है। यहां डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। अगली सुनवाई अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद होगी। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा।
17 जनवरी 2020 को संस्थान ने 87 डॉक्टरों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें रेडियोथेरेपी, रेडियो डायग्नोसिस, पैथोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, मानसिक रोग विभाग, मेडिसिन, समेत दूसरे विभाग शामिल हैं।
आवेदन की अंतिम तारीख 24 फरवरी थी। बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने आवदेन किया। आरक्षण रोस्टर की अनदेखी का आरोप लगाते हुए संस्थान के रेडियोथेरेपी के डॉक्टर ने कोर्ट में गुहार लगाई। वहीं न्यूरो सर्जरी व यूरोलॉजी विभाग के प्रोन्नति के मसले को लेकर कोर्ट में अर्जी लगाई।
डॉक्टरों के मुताबिक संस्थान में तैनाती मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के नियमों के तहत हुई। प्रोन्नति के लिए पीजीआई के नियमों को माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में असिस्टेंट, एसोसिएट, एडिशनल व प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के मानक को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से समय पर प्रोन्नति नहीं हो पाए हैं।
हाईकोर्ट ने संस्थान प्रशासन को नोटिस जारी की। पूरे मामले की जानकारी ली। संस्थान की ओर से कोर्ट में दिए गए हलफनामे में बताया गया कि सभी कार्यवाही शासनादेश के तहत की गई है। संस्थान सरकार के नियमों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया शुरू की। हाईकोर्ट ने सरकार का पक्ष पूछा है। सरकारी वकील की मांग के मुद्देनजर हाईकोर्ट ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद सुनवाई की बात कही है।