17 वर्षीय अब्दुल की सुरीली आवाज ने हर किसी को बनाया अपना दीवाना

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लखनऊ। हौसले बुलंद हों और मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई बाधा आड़े नहीं आती, दिव्यांगता भी नहीं। 17 वर्षीय दृष्टिबाधित अब्दुल जाहिद को देखकर कोई भी यह बात बहुत आसानी से समझ सकता है। शरीर से लाचार अब्दुल बिना किसी वाद्ययंत्र के ऐसी तान छेड़ता है कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध होकर बस सुनता ही रह जाए।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय छावनी मड़ियांव में कक्षा-छह के छात्र अब्दुल की आंखे हैं, पर वो देख नहीं सकता। लेकिन उसके हौसले बुलंद हैं। वह पढ़ना चाहता है। बड़ा सिंगर बनना चाहता है। मोहल्ले वालों ने कहा, ये तो देख नहीं सकता। कलाकार क्या खाक बनेगा। इन तानों से तंग आकर अब्दुल जाहिद ने ठान लिया कि अब हार नहीं मानेगा।

परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, लेकिन उसके हौसले मजबूत है। अब्दुल के आगे बढ़ने की चाह में आर्थिक दुर्बलता की जानकारी होने पर लखनऊ की शान हेल्प ग्रुप टीम ने अब्दुल की मदद एक अलग ढंग से करने की सोची। टीम लीडर एवं सोशल एक्टिविस्ट बृजेन्द्र बहादुर मौर्य के निर्देशन में सदा-ए-अब्दुल कार्य्रकम की रूपरेखा बनाई गई। इसी क्रम में रविवार को हजरतगंज स्थित उर्दू मीडिया सेंटर में अब्दुल जाहिद के लिये सदा-ए-अब्दुल कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में जब अब्दुल ने गजल, कव्वाली व देशभक्ति गीतों से अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरा तो सभी दंग रह गए। अब्दुल ने गजल ’हम तेरे शहर आये मुसाफिर की तरह….., कव्वाली माँ तेरे दूध का हक हमसे अदा क्या होगा….., ऐसे गुलशन बहारों में खिला करते हैं…..और मेरे रसके कमर तूने पहली नजर….सहित कई गीतों को सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के बाद लखनऊ की शान हेल्प ग्रुप टीम की ओर से एकत्र की गयी धनराशि अब्दुल जाहिद के परिजनों को भेंट की गयी।

इस कार्यक्रम से अब्दुल को उसके सपनों की उड़ान में मदद मिलेगी। साथ ही आर्थिक सहयोग से मंजिल हासिल करने में उसे आसानी हो जाएगी। वरिष्ठ समाजसेवी मनोज कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अब्दुल जाहिद को एक प्लेटफॉर्म देकर उसकी आर्थिक मदद करना था। अब्दुल जाहिद के परिवार में पिता मजदूरी करके पालन पोषण करते हैं। आयोजन में युवा शक्ति संगठन से अहमद खान का विशेष सहयोग रहा।

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