Lucknow | विवेकानंद हाॅस्पिटल में मरीज की मौत- तीमारदारों ने जमकर काटा हंगामा

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आये दिन प्राईवेट असप्तालों की मनमानी के कारण लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है। वहीं ऐसी ही मनमानी के कारण महानगर थाना क्षेत्र स्थित विवेकानद हॉस्पिटल में मरीज की मौत देखने को मिली है। जंहा मृतक राजन कपूर के परिजनों ने हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाया है जिसके कारण ही उसके भाई की मौत हो गई।

भाई की मौत के बाद ही मृतक के परिजनों ने हाॅस्पिटल में जमकर हंगामा काटा। जिसकी जानकारी पाते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराते हुए शव को घर ले जाने को कहा। पुलिस के काफी समझाने के बाद परिजनों ने डाॅक्टरों के खिलाफ तहरीर देते हुए शव को अंतिम संस्कार करने के लिए घर ले गये।

बता दें कि, मृतक राजन कपूर (45) पुत्र स्व. भूषण लाल कपूर बाबूगंज थाना हसनगंज का निवासी है। मृतक के भाई रिशी कपूर ने विवेकानंद के डाॅक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि 14 जनवरी को उनका भाई हाॅस्पिटल में शरीर के पैर में दिख रहे इंफेक्शन के चलते भर्ती हुआ था।

विवेकानंद के डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कहकर युवक को ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। मृतक के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों ने तीन बार में उनके भाई का ऑपरेशन किया था। जिसकी तारीख 17, 21 और 29 जनवरी थी।

वहीं आरोप लगाते हुए कहा है कि विवेकानंद के डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के कुछ दिन बाद ही मरीज के परिजनों को बिना सूचित किये ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया था और घर पर ही ड्रेसिंग हो जाने की बात कही थी। परिजनों ने बताया घर पर ड्रेसिंग करने के नाम पर भी अस्पताल की तरफ से दिन प्रतिदिन 1500 रुपये लिए जाते थे। वहीं उन्होंने बताया उनके भाई का ऑपरेशन डॉक्टर अमित अग्रवाल, डाॅक्टर गोपाल, डाॅक्टर अभिनव खरे, डाॅक्टर सारिका और डॉक्टर मोहम्मद आमिर ने किया था।

वहीं उन्होंने कहा कि डाॅक्टर की लापरवाही से पैर का इंफेक्शन फेफड़े और किडनी तक पहुंचने से हो उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर इलाज के नाम पर अब तक लगभग 8 लाख रुपये की धन उगाही कर चुके हैं।

आरोप है कि मौत के घंटो बाद भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। डॉक्टर सिर्फ मरीज के नाम पर उनसे पैसे ऐंठ रहे थे। परिजनों का आरोप है की शव देने से पहले डॉक्टर्स ने मृतक का पूरा बिल जमा करने के लिए उनको बिल दे दिया।

वहीं विवेकानंद हाॅस्पिटल के सीएमएस स्वामी मुक्तिनाथ नंदा ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। साथ ही उन्होंने कहा है मरीज के तीमारदार मृतक को हाॅस्पिटल गंभीर अवस्था में लाये थे और उनकी इस हाॅस्पिटल में तीन बार सर्जरी की गई थी। अगर डाॅक्टरों की लापरवाही थी तो मरीज के परिजन उनको दुबारा क्यों लाये थे।

उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों ने मरीज की मौत के बाद हाॅस्पिटल में तोड़फोड़ की है जो कि सरकारी सम्पत्ति का नुकसान हुआ है, लेकिन हम लोग उनको परेशान करना नहीं चाहते हैं क्योंकि वो इस वक्त खुद ही परेशान हैं।

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