Friday, October 3, 2025
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रामलीला मंचन में लंका दहन देख भक्तों ने लगाए जय श्रीराम, जय हनुमान के जयकारे

आज रावण वध की लीला के साथ दहन किया जाएगा रावण का पुतला

महोबा। शहर की पुरानी रामलीला मंच में चल रही रामलीला में बीती रात्रि कलाकारों ने श्रीराम हनुमान मिलन, सुग्रीव मित्रता, बालि वध, सुग्रीव राज तिलक, सीता खोज व लंका दहन लीला का मंचन हुआ। बारिश के बाद भी रामलीला दर्शकों की भीड़ से भरा रहा और लीला की समाप्ति तक अपनी जगह पर बैठकर भगवान राम की भक्ति में डूबे रहे वहीं कलाकारों ने भी अपनी अद्भुत कला का मंच में प्रदर्शन कर दर्शकों भक्ति में लीन करते हुए मंत्र मुग्ध कर दिया।

कलाकरों ने रामलीला का भगवान गणेश की वंदना से आरंभ की और इसके बाद लीला का मंचन करते हुए दिखाया कि मां शबरी ने प्रभु श्री राम को सहायता के लिए ऋष्यमूक पर्वत पर रहने वाले सुग्रीव के पास जाने को कहा। उधर सुग्रीव को पता चलता कि दो धनुर्धारी पर्वत की ओर आ रहे हैं जिस पर सुग्रीव हनुमान को भेजते हैं। हनुमान उनको अपने राजा सुग्रीव के पास ले जाकर सारी घटनाओं के बारे में विस्तृत वर्णन करते हैं।

श्रीराम सुग्रीव को आश्वस्त करते हुए बालि से युद्ध भेजते हैं और श्रीराम बालि का वध कर देते हैं और सुग्रीव का राजतिलक करते हैं। इसके बाद सुग्रीव सभी वानर दलों को सीता खोज के लिए सभी दिशाओं में भेजते है। दक्षित दिशा के दल में हनुमान, नल नील अंगद, जामवंत समुद्र तट पर पहुंचते है वहां उन्हें गिद्धराज संपाती ने उन्हें बताया कि सीता माता लंका में अशोक बाटिका में हैं।

कलाकारों ने मंचन करते हुए दर्शाया कि रामलीला में महाबली हनुमान 100 योजन समुद्र को लांघकर माता सीता की खोज करते हैं और अशोक वाटिका में रावण के पुत्र अक्षकुमार का वध करते हैं, जिस पर रावण पवन पुत्र हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश देते हैं। हनुमान द्वारा लंका दहन की लीला ने दर्शकों को रोमांचित किया साथ ही पूरा ग्राउंड जय श्रीराम व जय हनुमान के जयकारों से गूंज उठा।

रामलीला न्यास सचिव श्री मनोज तिवारी ने बताया कि 2 अक्टूबर शाम 7ः00 बजे रावण वध लीला का मंचन एवं रावण पुतला दहन होगा और 3 अक्टूबर शाम 6ः00 बजे श्रीराम राजगद्दी भव्य शोभायात्रा निकलेगी। रामलीला के मौके पर रामलीला आयोजन समिति के मुकेश गुप्ता, रामजी गुप्ता, संजीव तिवारी, राजीव तिवारी, सुभाष तिवारी, समेंद्र कुमार सहित तमाम दर्शक मौजूद रहे। आदि सदस्य उपस्थित रहे।

देवी मंदिरों व पंडालों में कन्या का पूजन कर कराया भोजन

कन्या पूजन शारदीय नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान में से एक है। यह अनुष्ठान आखिरी दिन महानवमी को होता है जिसके चलते बुधवार को शहर के देवी मंदिरों, देवी पंडालों और तमाम घरों में कन्य पूजन किया गया। कन्या भोजन में 12 वर्ष से कम आयु की कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। कन्या भोज में कुंवारी कन्याओं को भर पेट भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा और उपहार आदि देकर विदा किया गया।

मान्यता है कि नौ दिन नवरात्रि व्रत रखने वाले व्यक्ति को कन्या पूजन जरूर करना चाहिए तभी पूरा फल मिलता है। नवरात्रि के अंतिम दिन कुंआरी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। नौ कन्याएं मां के नौ स्वरूप माने हुए एक विशेष पूजा की गई, इसके लिए नौ दिन व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोला। कन्या पूजन कर उन्हें भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है।

दुर्गा पंडालों में सारा दिन चलते रहा भंडारा

नवरात्रि के नौवीं को दुर्गा पंडालों में हवन पूजन के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे के चलते भक्तों के साथ साथ गरीब वर्ग के लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया। शहर में बनाए गए दुर्गा पंडालों में सारा दिन सब्जी पूड़ी, हलवा, खीर तो कहीं बुदिया का वितरण होता रहा। इस दौरान भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही, जिसमे महिलाओं और बच्चों की संख्या भी अधिक नजर आई। प्रसाद ग्रहण करने के बाद भक्तों ने मां दुर्गा के जयकारे लगाए। सारा दिन चले धार्मिक आयोजनों के चलते पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था।

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