बुजुर्गों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की चुनौती का सामना करना होता है। इसलिए उनकी सेहत को लेकर सजगता हर स्तर पर जरूरी है । इसके लिए खानपान व जीवनशैली में कैसी सावधानी हो इस बारे में डॉ. विनोद कुमार (पूर्व प्रोफेसर मैडिसिन विभाग एम्स नई दिल्ली) से जानते हैं।
बुजुर्गों की सेहत की चुनौतियां अलग तरह की होती हैं। ऐसे में अगर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं भी हैं तो अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अन्यथा, ये समस्याएं गंभीर हो सकती हैं। इस उम्र में कैंसर, हार्ट अटैक, निमोनिया की आशंका अपेक्षाकृत अधिक होती है।
देखने और सुनने की समस्या के साथ भूलने की भी परेशानी हो सकती है। कुछ लोगों को पाचन, किडनी की समस्या मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है। बुजुर्गों में डिमेंशिया का खतरा बना रहता है जो उन्हें परिवार व देखभाल करने वालों पर पूरी तरह निर्भर बना सकता है। ये सभी शारीरिक समस्याएं अपनी जगह हैं। बढ़ते शहरीकरण और परिवार की बदलती संरचना ने बुजुर्गों की मानसिक सेहत को प्रभावित किया है।
अपनों के बीच रहकर भी उन्हें अकेलापन और जीवन निरुद्देश्य महसूस होता है। यह उनके शारीरिक सेहत पर दुष्प्रभाव डालता है। इन सभी समस्याओं से निपटना है कि स्वास्थ्य की समय- समय पर जांच कराते रहें, दवाइयों को लेते रहें और सबसे जरूरी है कि जीवनशैली को सही रखें।
हड्डियों के घनत्व (बोन डेंस्टिटी) में कमी आ जाती है। टहलते समय सपोर्ट लेकर चलना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि बाशरूम में फिसलें नहीं, इसके लिए फर्श को सूखा रखें। अगर सही, संतुलित दिनचर्या रखेंगे, तो बुजुर्ग भी सेहतमंद और आनंदमय जीवन जी सकेंगे।
बुजुर्गों में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, जोड़ों की समस्या, मधुमेह और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं अधिक देखने में आती हैं । हड्डियों के कमजोर होने से उनके गिरने और फ्रैक्चर का जोखिम होता है । इसलिए, बुजुर्गों की मानसिक और शारीरिक सेहत को बनाए रखने के लिए सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। उन्हें अकेलेपन से बचाना जरूरी है।
मानसिक सक्रियता के लिए
दिन में कुछ समय के लिए ऐसे कार्य करें जिससे दिमाग की सक्रियता बढ़े।
- नई भाषा या संगीत यंत्रों को बजाना सीखें, इससे एक्टिव रहेंगे ।
- आनलाइन भुगतान करें और नई तकनीकों के बारे में जानें।
- बागवानी करें। गमला कहां रखना है, कैसे सजाना है, योजना बनाएं । ध्यान रहे दोनों हाथ से काम करें ताकि दिमाग का दोनों हिस्सा सक्रिय रहे ।
- अकेले न रहें, सामुदायिक कार्यक्रमों में रुचि लें। बच्चों के साथ खेलें और उनके साथ समय बिताएं।
खानपान में रखें ध्यान
- अतिरिक्त नमक या चीनी से दूरी बनाएं ।
- खानपान में सब्जियां, ताजे फल अधिक लें, शाकाहार अपनाएं।
- रेड मीट से परहेज करें, मछली खा सकते हैं। तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से दूरी बनाएं। इससे पाचन सही रहेगा।
- ओवरइटिंग से बचना चाहिए । भूख का 60-70 प्रतिशत ही खाएं। इससे कई समस्याओं से बचे रहेंगे।
- अल्कोहल, गुटका, धूमपान आदि से दूरी बनाएं ।
उपयोगी सुझाव
- वजन को नियंत्रण में रखें, ताकि गैरसंचारी बीमारियों का जोखिम कम से कम हो ।
- पोषण के लिए भोजन में विटामिंस और मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा रखें, चिकित्सक से जरूरी सलाह लें।
- अगर डायबिटीज, ब्लडप्रेशर की समस्या है तो चिकित्सक के परामर्श से दिनचर्या का नियम बनाएं।
यह भी आवश्यक
- प्रतिदिन आधा घंटा टहलें। ब्रिस्क वॉक या जितना आप कर सकते हैं, जरूर करें।
- योग व कसरत के लिए आधाघंटा दें। रेजिस्टेंस, बैलेसिंग एक्सरसाइज से भी लाभ मिलेगा।
- नृत्य करना, तैरना आदि पसंद है तो जरूरी प्रयास करना चाहिए।