लखनऊ। घंटाघर पर चल रहे प्रदर्शन के 23वें दिन आंदोलन की अगुआकार महिलाओं ने एक स्वर में कहा था कि 9 फरवरी को ’लखनऊ चलो’ का आह्वान वापस नहीं लिया गया है। इसे वापस लिए जाने की फैलायी जा रही अफवाह साजिश का हिस्सा है ताकि आंदोलन को भटकाया जा सके।
उनकी इस अपील के मद्देनज़र 9 फरवरी को घंटाघर पर चल रहे प्रदर्शन के 24 रोज़ जनसैलाब देखने को मिला | घंटाघर का इतना बड़ा ग्राउंड जो मनो बहोत छोटा व्यतीत हो रहा था | स्टाजे पर वक्तव का ताँता लगा था | बाराबंकी, फैज़ाबाद, दिल्ली शहीनबाग जामिया के छात्र छात्रा एएमयू के छात्र समजस्वी संस्था के लोग काफी बड़ी तादाद में मौजूद थे |
अबकी आँखों में एक दर्द देखने को मिला CAA और NRC के क़ानून ने जनता को लहूलुहान कर दिया है | एक तरफ सरकार क़ानून को वापस लेने के बारे में कह चुकी है कि एक क़दम भी पीछे नहीं हटेंगे वही जनता इसबार मौजूदा सरकार दुवारा लागू काळा क़ानून को मानने पर बिलकुल भी तैयार नहीं है अब देखने ये है कि आने वाला वक़्त किस किया रंग दिखता है |
अगुआकार महिलाओं ने कहा कि बंद कमरों में बनी किसी भी कमेटी का आंदोलन से कोई रिश्ता नहीं हैं। ऐसी किसी भी कमेटी के अधीन घंटाघर का आंदोलन नहीं है। महिलाओं ने जोर देकर कहा कि घंटाघर पर बैठी महिलाओं का आंदोलन नागरिकता का स्वतंत्र आंदोलन है जो नागरिकों द्वारा ही संचालित है।
इसका कोई राजनैतिक आका नहीं है। यह आंदोलन संविधान को बचाने यानी देश को बचाने के लिए है। इसमें सभी का स्वागत है लेकिन इसका राजनैतिक इस्तेमाल अशोभनीय है।