Thursday, August 21, 2025
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Green Tea से जुड़ी ये गलतियां कहीं बिगाड़ न दें आपकी सेहत! एक्सपर्ट ने बताया इसे पीने का सही तरीका

आजकल हर कोई स्वस्थ और फिट रहना चाहता है और इसके लिए ग्रीन टी एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरी है। यह सिर्फ एक स्वादिष्ट पेय नहीं बल्कि एंटीऑक्सीडेंट्स का खजाना है जो हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाता है। लुधियाना में संजीवनी आयुर्वेदशाला के आयुर्वेदाचार्य डॉ. आर. वात्स्यायन के अनुसार सही तरीके से और सही मात्रा में ग्रीन टी पीने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं।

ग्रीन-टी एक छोटे झाड़ीनुमा पौधे के सुखाए हुए पत्ते होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तौर पर ‘कैमेलिया साइनेंसिस’ के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में भारत और तिब्बत के बौद्ध संन्यासी लंबी यात्राओं में ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए ग्रीन-टी का प्रयोग करते थे। पर, यह हैरानी की बात है कि आयुर्वेद के मनीषियों ने असंख्य जड़ी-बूटियों को खोजते हुए ग्रीन टी को कैसे नजरअंदाज कर दिया। बहरहाल, आज हमारे पास ग्रीन-टी से संबंधित प्रचुर मात्रा में वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध है।

ग्रीन-टी एक शक्तिशाली एंटी आक्सीडेंट्स है, जो शरीर में स्वतः उत्पन्न होने वाले विषाक्त तत्वों को नियंत्रित करता है। चीन की परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में इसे मनोदशा उत्तेजक (मूड स्टिमुलेंट), पाचक, मूत्रोत्सर्ग बढ़ाने वाला और वायरस निरोधी माना जाता है। यह बाह्य या आंतरिक कारणों से शरीर में उत्पन्न होने वाले विषैले तत्वों को भी नष्ट करता है।

ग्रीन-टी है कई बीमारियों का इलाज

अनेक वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि ग्रीन-टी बढ़ती उम्र में शरीर की धमनियों के अवरोध को दूर करती है । धमनियों में इसी अवरोध से हृदय रोग की आशंकाएं बढ़ती हैं। बड़ी आंत में सूजन, मधुमेह तथा एल्कोहल के दुष्प्रभावों को रोकने में भी ग्रीन-टी को कारगर पाया गया है। एक अच्छी चाय बनाना और उसकी उचित मात्रा निर्धारित करना ऐसे प्रश्न हैं, जिनका उत्तर आसानी से नहीं दिया जा सकता।

जानिए पीने का सही तरीका और मात्रा

भारतीय परिस्थिति में दिन में एक से तीन कप ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है। इसके लिए एक टी बैग या दो से चार ग्राम तक इसकी मात्रा को पानी में एक या दो मिनट तक उबाला जाना चाहिए और इच्छा के अनुसार इसे दूध और चीनी मिलाकर भी लिया जा सकता है। ध्यान रखें ग्रीन टी को अधिक काढ़ना नहीं चाहिए। अदरक, इलायची, दालचीनी और तुलसी की पत्तियों को भी ग्रीन टी के साथ उबाला जा सकता है।

ज्यादा ग्रीन टी भी पहुंचा सकती है नुकसान

ब्लैक-टी में ग्रीन-टी की अपेक्षा कैफीन की अधिक उपस्थिति होती है, इसलिए अधिक मात्रा में सेवन किए जाने पर किसी भी किस्म की चाय अमाशय में अम्ल की अधिकता, नींद व्यवधान, हृदय की धड़कन बढ़ने, भूख कम लगने और मितली आने जैसे लक्षणों का कारण बन सकती है। ग्रीन टी का रक्तचाप निरोधी दवाओं और कुछ एंटी बायोटिक्स व डिप्रेशन की दवाओं के साथ विरुद्ध प्रभाव भी हो सकता है। इसलिए चिकित्सक के परामर्श के आधार पर ग्रीन टी की सही मात्रा को निर्धारित करके ही सेवन करना चाहिए।

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