Thursday, August 21, 2025
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लोकतंत्र में क्यों खास है उपराष्ट्रपति चुनाव? वोटिंग प्रोसेस से लेकर उम्मीदवारों की योग्यता तक; पढ़ें VP इलेक्शन की ABCD

Vice President Election उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और आइएनडीआइए गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी उम्मीदवार हैं। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह मध्यावधि चुनाव हो रहा है। संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाता है। एनडीए के पास बहुमत है जिससे उनकी स्थिति मजबूत है। चुनाव प्रक्रिया योग्यता और उपराष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति के चुनाव में अब दो उम्मीदवार मैदान में हैं। एनडीए की तरफ से महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन के मुकाबले आइएनडीआइए गठबंधन ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है।

21 जुलाई, 2025 की रात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद भारत के इतिहास में यह केवल तीसरी बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही पद छोड़ दिया हो।

1952 से अब तक कुल 14 उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में आइए जानते हैं।

देश के इतिहास में तीसरी बार उपराष्ट्रपति पद के लिए होंगे मध्यावधि चुनाव

जगदीप धनखड़ से पहले कार्यकाल के बीच में पद छोड़ने वाले पहले उपराष्ट्रपति वीवी गिरि और दूसरे आर वेंकटरमन थे। दोनों ने राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होने के लिए कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया था।

उनके स्थान पर क्रमश: गोपाल स्वरूप पाठक और शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति बने थे। पाठक अगस्त 1969 से लेकर अगस्त 1974 तक उपराष्ट्रपति रहे। वहीं डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा अगस्त 1987 में उपराष्ट्रपति बने थे।

11 अगस्त, 2022 को एम वेंकैया नायडू की जगह पदभार ग्रहण करने वाले जगदीप धनखड़ के पांच साल के कार्यकाल में अभी दो साल और बाकी थे। हालांकि, उनके उत्तराधिकारी का चुनाव केवल शेष अवधि के लिए नहीं होगा। उनका कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच साल का होगा।

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है। इस बार का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। दिल्ली की राजनीति से लेकर संसद तक यह चुनाव नीतिगत और रणनीतिक फैसलों पर असर डाल सकता है।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है।

इस प्रक्रिया में मतदाता वरीयता क्रम में उम्मीदवारों को रैंक करते हैं। लोक सभा या राज्य सभा के महासचिव को चक्रीय आधार पर रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं:

लोकसभा के निर्वाचित सदस्य

राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य

चुनाव में राज्य विधानसभा के सदस्य शामिल नहीं होते।

वोटिंग प्रक्रिया कैसी होती है?

चुनाव गोपनीय मतदाता प्रणाली के तहत किया जाता है।

यह अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होता है।

प्राथमिकता वोटिंग का उपयोग किया जाता है- यानी सांसद अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों की प्राथमिकता तय करते हैं (1, 2, 3..)।

चुनाव का फार्मूला प्रत्येक सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रैंक करता है, और सभी वोटों का भार समान होता है। जीतने के लिए एक उम्मीदवार को एक कोटा प्राप्त करना होता है, जिसकी गणना (कुल वैध वोट 2) + 1 के रूप में की जाती है।

यदि पहले दौर में कोई भी उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर पाता है, तो सबसे कम प्रथम वरीयता वाले वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है, और उन मतपत्रों से द्वितीय वरीयता वाले को वोट स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि कोई एक उम्मीदवार कोटा हासिल नहीं कर लेता।

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की टाइमलाइन

चुनाव अधिसूचना: 7 अगस्त 2025

नामांकन दाखिल की अंतिम तिथि: 21 अगस्त 2025

नामांकन पत्रों की जांच: 23 अगस्त 2025

नाम वापस लेने की आखिरी तारीख: 26 अगस्त 2025

वोटिंग और परिणाम घोषित करने की तारीख: 9 सितंबर 2025

जीत के गणित में एडीए का पलड़ा भारी – वर्तमान में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं (233 निर्वाचित + 12 मनोनीत)

दोनों सदनों में वर्तमान संयुक्त संख्या 788 है, जिसमें छह रिक्तियां भी शामिल हैं। – कुल 782 सांसद मतदान में हिस्सा लेंगे – किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 391 या उससे अधिक वैध वोट चाहिए।

एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 वोट हैं।

एनडीए के पास लगभग 422 वोटों का समर्थन है, जिससे वह बहुमत में है।

उम्मीदवार के लिए योग्यता संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी है:

  • वह भारत का नागरिक हो
  • उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो
  • वह राज्यसभा के सदस्य बनने के योग्य हो
  • उसके खिलाफ कोई आपराधिक दोष सिद्ध न हो
  • नामांकन के लिए उसे कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक की आवश्यकता होती है, जो संसद सदस्य हों।

चुनाव आयोग की भूमिका

पूरे चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी भारत का चुनाव आयोग करता है। यह आयोग अधिसूचना जारी करता है, नामांकन की जांच करता है और चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। मतदान संसद भवन परिसर में ही कराया जाता है।

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और भूमिका

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है। वह भारत के राज्यसभा का सभापति होता है। -राष्ट्रपति के न रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका भी निभाता है। अगर कोई उम्मीदवार निर्विरोध चुना जाए तो?

अगर केवल एक ही उम्मीदवार वैध रूप से नामांकन दाखिल करता है और बाकी सभी नामांकन खारिज या वापस ले लिए जाते हैं, तो उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है और मतदान की जरूरत नहीं पड़ती।

क्यों है उपराष्ट्रपति का चुनाव खास?

दरअसल, यह न केवल संवैधानिक प्रक्रिया है बल्कि राजनीतिक समीकरणों की भी परीक्षा होती है। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपने उम्मीदवार खड़े कर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करते हैं।

देश में अब तक 14 उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति कार्यकाल

1. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952- 12 मई 1962

2. डॉक्टर जाकिर हुसैन 13 मई 1962- 12 मई 19673

3. वीवी गिरी 13 मई 1967- 3 मई 1969

4. गोपाल स्वरूप पाठक 31 अगस्त 1969- 30 अगस्त 1974

5. बीडी जट्टी 31 अगस्त 1974- 30 अगस्त 1979

6. मोहम्मद हिदायतुल्ला 31 अगस्त 1979- 31 अगस्त 1984

7. आर वेंकटरमण 31 अगस्त 1984-24 जुलाई 1987

8. शंकर दयाल शर्मा 3 सितंबर 1987- 24 जुलाई 1992

9. केआर नारायणन 21 अगस्त 1992- 24 जुलाई 1997

10. कृष्णकांत 21 अगस्त 1997- 27 जुलाई 2002

11. भैरों सिंह शेखावत 19 अगस्त 2002- 21 जुलाई 2007

12. मोहम्मद हामिद अंसारी 11 अगस्त 2007- 10 अगस्त 2017

13. एम वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017- 10 अगस्त 2022

14. जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022- 21 जुलाई 2025

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