Monday, August 11, 2025
spot_img
HomeMarqueeकाम क्रोध व लोभ को त्याग कर मनुष्य को करनी चाहिए प्रभु...

काम क्रोध व लोभ को त्याग कर मनुष्य को करनी चाहिए प्रभु की भक्ति

श्रावण मास की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गोरखगिरि की श्रद्धा और भक्ति के साथ लगाई परिक्रमा

महोबा। गोरखगिरि परिक्रमा समिति के तत्वावधान में शनिवार को श्रावण मास की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और भक्ति भाव में सरावोर होकर गुरू गोरखनाथ की तपोभूमि गोरखगिरि की परिक्रमा लगाई। श्रद्धालु हाथों में भगवा ध्वज लिए गाजे बाजों, रामधुन और जयकारों पैदल गोरखगिरि की परिक्रमा पूर्ण की। परिक्रमा के बाद श्रद्धालुओं ने परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले ऐतिहासिक मंदिरों में माथा टेंका और मानव की सुख सवृद्धि के लिए भी प्रार्थना की। इसके उपरांत शिव मंदिर में एक गोष्ठी का आयोजन किया गयाए जिसमें प्रभु श्रीराम के वनवास काल दौरान इस पर्वत आने पर प्रकाश डाला गया साथ ही लोभ, काम क्रोध त्याग करते हुए प्रभु की भक्ति पर जोर दिया।

श्रावण मास की पूर्णिमा पर गोरखगिरि पर्वत की परिक्रमा सुबह छह बजे शिवतांडव मंदिर से प्रारंभ हुई जो महावीरन, पठवा के बाल हनुमान, केदारेश्वर महादेव, कबीर आश्रम, हाजी फिरोजशाह बाबा की मजार, सकरे सन्या, भूतनाथ आश्रम, काली माता, शनिदेव, छोटी चंडिका, नागौरिया, काल भैरव होते हुए वापस शिवतांडव पर संपन्न हुई। परिक्रमा में पुरुषों के साथ साथ महिलाओं ने पैदल चलते हुए जय श्रीराम और बमबम भोले, जय गुरू गोरखनाथ के जयकारे लगाए, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।

परिक्रमा दौरान मार्ग पर पड़ने वाले ऐतिहासिक मंदिरों में के अलावा शिव मंदिर में माथा टेंका और लोगों को सत्य के मार्ग पर चलते हुए जीवन व्यतीत करने और उनके दुखों का निवारण के लिए प्रार्थनाएं की। परिक्रमा पूर्ण होने के बाद आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए समिति प्रभुख डा0 एलसी अनुरागी ने बताया कि चौदह वर्ष के वनवानकाल दौरान भगवान राम, लक्ष्मण व माता जानकी इस गोरखगिरि पर आए थे, जिसका सीता रसोई व रामकुंड प्रमाण हैं।

साईं कालेज के प्राचार्य डा0 अनुरागी ने बताया कि भगवान राम के इस पर्वत में चरण पड़ने से यह गिरि धर्म अर्थ काम व मोक्ष प्रदान करने वाला है, जिससें यह चित्रकूट के सामान बन गया है। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक की व्याख्या करते हुए कहा कि काम, क्रोध व लोभ नरक के द्वार हैं, अतः इन्हें त्यागकर मनुष्य को प्रभु की भक्ति करना चाहिए। समाज सेवी शिवकुमार गोस्वामी ने बताया कि यह गोरखगिरि गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि है और पहाड़ के ऊपर सिद्धबाबा का स्थान है।

इस पर्वत पर गुरु गोरखनाथ ने अपने शिष्य सिद्धोदीपकनाथ के साथ तपस्या की थी। कहा जाता है कि महोबा के वीर योद्धा आल्हा ऊदल किसी भी संकट के समय गुरु गोरखनाथ का स्मरण करते थे। यह दोनों वीर उनके परमप्रिय शिष्य और सेवक माने जाते थे। गुरु गोरखनाथ की मदद और कृपा से उनकी हर युद्ध में विजय होती थी।

गोष्ठी में अधिवक्ता सुनीता ने गता के श्लोकों के अलावा वाल्मीकि रामायण के भगवान राम के जीवन के आदर्श चरित्र वाले श्लोक भी सुनाए। इस मौके पर ओमनारायण शुक्ला, संजीव द्विवेदी, मयंक नायक, महेश कुमार, गौरीशंकर, राकेश चौरसिया, मुन्नालाल, ओमप्रकाश साहू, परशुराम अनुरागी, चंद्रभान श्रीवास, विनोद सोनी, मुन्नालाल अनुरागी, बहादुर सहित तमाम भक्त मौजूद रहे। अंत में समिति प्रमुख ने सभी लोगो का आभार व्यक्त करते हुए प्रसाद का वितरण किया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular