Tuesday, August 5, 2025
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राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने नवप्रवेशित विद्यार्थियों के साथ किया संवाद

एमजीयूजी के फैकल्टी ऑफ हेल्थ एंड लाइफ साइंस तथा फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंस में दीक्षारंभ समारोह

गोरखपुर । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) में सोमवार को फैकल्टी ऑफ हेल्थ एंड लाइफ साइंस तथा फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंस में नव प्रवेशित विद्यार्थियों का दीक्षारंभ समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्य महिला आयोग उत्तर प्रदेश की उपाध्यक्ष चारू चौधरी ने विद्यार्थियों से संवाद कर महिला उत्पीड़न, रैगिंग और अच्छे और बुरे स्पर्श पर चुप्पी तोड़ने के लिए प्रेरित किया।

चारू चौधरी ने कहा कि समाज में महिला उत्पीड़न के खिलाफ संवेदनशील बनें, सहानुभूति से सुनें, साहस से बोलें, चुप्पी तोड़ें और सीधा संवाद करें। महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षित होना आवश्यक है। एक शिक्षित नारी पूरे समाज और परिवार को संबल दे सकती है। महिला हिंसा, रैगिंग, उत्पीड़न, शारीरिक स्पर्श के प्रति जागरूकता (गुड टच-बैड टच) और लिंग संवेदनशीलता (जेंडर सेंसिटिविटी) जैसे विषय आधुनिक युग में अत्यधिक प्रासंगिक हैं और इन पर खुली चर्चा तथा जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि जेंडर सेंसिटिविटी का विकास समाज को अधिक न्यायपूर्ण, समतामूलक और सुरक्षित बनाता है। सामाजिक बदलाव केवल कानूनों से नहीं आते, बल्कि वह हमारी चेतना, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव से आते हैं। महिला हिंसा, रैगिंग, उत्पीड़न, गुड टच-बैड टच और जेंडर सेंसिटिविटी जैसे विषय केवल चर्चा के नहीं, बल्कि कार्यान्वयन और अभ्यास के क्षेत्र हैं। हमें शिक्षा संस्थानों, परिवारों, सामाजिक संगठनों और सरकार के संयुक्त प्रयासों से ऐसे वातावरण का निर्माण करना होगा जिसमें हर व्यक्ति विशेषकर महिलाएं, बच्चे और समाज के हाशिए पर खड़े लोग स्वयं को सुरक्षित, सम्मानित और आत्मनिर्भर महसूस करें।

राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने कहा कि सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने रैगिंग को अपराध घोषित किया है। रैगिंग रोकने हेतु हेल्पलाइन, निगरानी कमेटियाँ और सख्त दंड की व्यवस्था की गई है। महिला आयोग पीड़ित व्यक्ति या महिला की पहचान गोपनीय रखता है, उन्हें कानूनी सहायता दी जाती है। बाल यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं आज चिंता का विषय हैं। बच्चे सरल, निश्छल और अबोध होते हैं। उन्हें सही और गलत स्पर्श की पहचान कराना आवश्यक है। जिससे बच्चे को सुरक्षा, स्नेह और विश्वास का अनुभव होता है। ‘ना’ कहने की आदत डाले और चुप्पी तोड़े और गलत का विरोध करे।

दीक्षारंभ में अधिष्ठाता प्रो. सुनील कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया , सत्र का संचालन डॉ. संदीप कुमार श्रीवास्तव ने किया। दीक्षारंभ में प्रमुख रूप से डॉ. अमित कुमार दुबे, डॉ. प्रेरणा अदिति, डॉ. रश्मि शाही, डॉ अवेद्यनाथ सिंह, डॉ. पवन कुमार कन्नौजिया, डॉ. संदीप कुमार श्रीवास्तव, डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ. रश्मि झा, सृष्टि यदुवंशी, अनिल कुमार, अनिल मिश्रा, धनंजय पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

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