कर्नाटक की मतदाता सूची में गड़बड़ी के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव आयोग पर एटम बम फोड़ने की बात कर रहे हैं जबकि उनकी पार्टी के नेता ही सबूतों को लेकर असमंजस में हैं। पूर्व मंत्री एच नागेश ने मतदाता सूची से फर्जी नाम गायब होने की शिकायत की है और सीईओ से कॉपी मांगी है जबकि सीईओ ने ऐसी कोई सूची देने से इनकार किया है।
कर्नाटक की मतदाता सूची में गड़बड़ी के पुख्ता सबूतों के आधार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भले ही चुनाव आयोग पर ‘एटम बम’ फोड़ने की धमकी दे रहे है जबकि राज्य में उनकी पार्टी के नेताओं के पास ही इसके कोई सबूत नहीं है।
ताजा मामला कर्नाटक कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री एच नागेश से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अपने पास मौजूद मतदाता सूची के फर्जी नामों की सूची के गायब होने की बात कही है। साथ ही राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर अप्रैल 2023 में उन्हें दी गई इस सूची की एक कॉपी मुहैया कराने की मांग की है।
CEO ने क्या कहा?
यह बात अलग है कि सीईओ ने उन्हें अपने जवाब में ऐसी कोई सूची नहीं दिए जाने की बात कही है। गौर करने लायक बात यह है कि राज्य की जिस महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में की गई गड़बड़ी के आधार पर कांग्रेस इस मुद्दे को गरमाए हुए है, दरअसल उसी सीट से एच नागेश कांग्रेस के प्रत्याशी थे।
उन्हें भाजपा प्रत्याशी ने करीब 40 हजार मतों से शिकस्त दी थी। हार के बाद से ही एच नागेश मतदाता सूची में फर्जी नामों के मुद्दे को तूल दे रहे है। इस सूची को पेश करने की बारी आई तो उन्होंने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को 31 जुलाई 2025 को पत्र लिखकर अप्रैल 2023 में उन्हें दी गई फर्जी मतदाताओं की सूची की एक प्रति देने की मांग की है।
गायब हो गई प्रति
साथ ही बताया है कि उनके पास इसकी जो प्रति थी वह गायब हो गई है। इसके बाद तो राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने उसकी दावों की जांच कराई और उन्हें दो अगस्त 2025 को जवाब दिया कि उनकी ओर से कोई कॉपी नहीं दी गई थी। न ही उनकी ओर से महादेवपुरा सीट को लेकर कोई चुनाव याचिका ही दाखिल की गई है।
आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से दावा किया गया कि कांग्रेस की ओर से कर्नाटक की मतदाता सूची में गड़बड़ी की बात पूरी तरह से गलत है। यह भी तर्क दिया कि चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान कांग्रेस सहित राज्य के किसी भी राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई। चुनाव नतीजों के बाद जो दस याचिकाएं दायर हुई थी, उनमें भी कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं था। यदि ऐसा था तो उन्होंने इन विकल्पों का क्यों इस्तेमाल नहीं किया गया।
बिहार की ड्राफ्ट सूची पर राजनीतिक दलों की नहीं आई एक भी आपत्ति
बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची को लेकर तीसरे दिन भी राजनीतिक दलों की ओर से अब तक कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई गई है, जबकि राज्य में सभी राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल आफीसर (बीएलए) मौजूद है।
वहीं आम मतदाताओं की ओर से ड्राफ्ट सूची को लेकर अब तक 1927 आपत्तियां दर्ज कराई गई है। आयोग का दावा है कि उनका सात दिन में निस्तारण कर दिया जाएगा। वहीं एक अक्टूबर को 18 साल की उम्र पूरी कर रहे करीब 11 हजार युवाओं में मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन एक अगस्त को तीन बजे किया था।