डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज तहसील के हल्लौर स्थित वक्फ शाह आलमगीर सानी में अंजुमन फरोग़ मातम के वार्षिक अशरे (दस मजलिस) की पांचवीं मजलिस का आयोजन किया गया। इस मजलिस को संबोधित करते हुए इलाहाबाद कौशांबी से आए मौलाना कौसर अब्बास ने कहा कि मुसलमान की पहचान उसके नाम से नहीं, बल्कि उसके किरदार से होती है।
मौलाना ने कहा कि अल्लाह अपनी पाक किताब कुरान में जब भी समाज को संबोधित करते हैं, तो वह ईमान वालों को पुकारते हैं, अर्थात किरदार वालों को। उन्होंने बताया कि दुनिया में कुछ लोग मुसलमान का वेष धारण करके इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। मौलाना ने जोर देकर कहा कि अगर इस्लाम के सही स्वरूप को जानना है, तो उसे इमाम हुसैन और कर्बला से समझना होगा। उन्होंने कहा कि कर्बला में भी मुसलमान का वेश धारण किए यजीद और उसके लश्कर के लोगों ने रसूल अल्लाह के नवासे इमाम हुसैन को शहीद कर दिया, ताकि यजीद की बुराइयों को दुनिया में इस्लाम का सिद्धांत बताया जा सके।
वहीं, इमाम हुसैन ने अपने नाना के दीन को सही रूप में मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए अपनी और अपने परिवार की शहादत दी। मौलाना ने कहा कि कर्बला में इस्लाम को बचाने और इस्लाम को बदनाम करने वाले, दोनों तरह के किरदार मिलते हैं।मजलिस के अंत में, मौलाना ने इमाम हुसैन की चार साल की बेटी पर हुए जुल्मों का वर्णन किया, जिसे सुनकर सभी अकीदतमंदों की आंखें नम हो गईं।
मजलिस का संचालन अफसर हल्लौरी ने किया, जबकि अम्बर मेहदी और उनके साथियों ने मरसिया पेश किया।इस दौरान सदर मोहम्मद मेंहदी, सिकरेट्री इकबाल मेहदी, गुलाम मेहदी, अरशद, जौहर, जमाल, इंतजार हुसैन, शबरेज़, काजिम रज़ा, तशबीब हसन, हैदर अब्बास, अजीम हैदर, सादिक, खुशबू, कसीम रिज्वी, शमशाद, अलमदार हुसैन, महताब, बेताब हल्लौरी, शमशाद हल्लौरी, शम्स हैदर, खुस्तर रजा, आले रजा, अनवर, अजीम मास्टर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।