अपने रहनुमा के इंतेज़ार में है बीमार अस्पताल

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मनव्वर रिज़वी/रफीक अहमद
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 सहजनवां ब्लाक के ग्राम सभा भड़सार में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से हो चुका है जर्जर, जिम्मेदार चुप

बीमार लोगों को इलाज करानले के लिए जाना पड़ता है 8 किमी दूर, अस्पताल पर बच्चों का भी नहीं होता टीकाकरण

सहजनवां : डाक्टरों की कमी से स्वास्थ्य महकमा जूझ रहा है। जो डाक्टर तैनात भी तो वह मरीजों का इलाज नहीं कराना चाहते। अधिकारियों की उदासीनता के चलते महीने में एक दो दिन ही डाक्टर के अस्पताल में दर्शन होते है। तहसील मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर भड़सार गांव में प्राथमिक अस्पताल के हालात देखे गए तो स्वास्थ्य विभाग की कलई खुल कर सामने आई। गांव में शासन की ओर से एक दशक पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था। डाक्टरों को तैनात कर मरीजों के लिए अस्पताल चालू किया गया। गांव में अस्पताल बनने से ग्रामीणों की खुशी दोगुनी हो गई, लेकिन यह खुशी काफी दिनों तक ग्रामीणों के चेहरे पर नहीं रह सकी। डाक्टरों ने ग्रामीणों की इस खुशी को उनसे छीन लिया।
अस्पताल में आयुर्वेद डाक्टर रूद्रसेन सिंह व फार्मासिस्ट हरीराम यादव की तैनाती है। यह लोग किस समय अस्पताल आते है और चले जाते है इसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं हो पाती। यहां पर तैनात डाक्टर शासन की मंशा से नहीं बल्कि अपनी मंशा से अस्पताल का संचालन करते है। ग्रामीण क्षेत्र में बीमार ग्रामीणों को इलाज कराने के लिए 8 किलोमीटर दूर सहजनवां कस्बा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर यह दोनों डाक्टर अस्पताल में मौजूद है और कोई मरीज अस्पताल पहुंचा तो उससे फीस वसूली जाती है। बिना फीस लिए डाक्टर मरीज को हाथ तक नहीं लगाते।
नौ साल में ही जर्जर हो गया अस्पताल
 देखरेख के अभाव में नौ सालों में ही अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। बिल्डिंग देख कर लगता है कि अस्पताल बहुत पुराना है। नौ सालों में अस्पताल की रंगाई पुताई तक नहीं कराई गई। इतना नहीं बल्कि अस्पताल में लगा पानी का टैंक भी टूट कर गिर चुका है।
गंदगी का लगा अंबार
अस्पताल के आसपास व अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। अस्पताल परिसर में बड़ी बड़ी घास खड़ी होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की बीमारी तो दूर नहीं होती बल्कि और अधिक बीमारी से ग्रसित हो जाते है। जिला प्रशासन की ओर से अस्पतालों की साफ-सफाई का फरमान तो जारी किया जाता है, लेकिन यह फरमान कागजों तक ही सिमट कर रह जाता है।
इन गांवों को इलाज की उम्मीद
क्षेत्र के भरवल, रानीपार, जगदीशपुर, कोड़री, गोपालपुर, टड़वा, तेलियाडीह, फरसाड़ार, चिरैयाडार सहित आसपास के छोटे-छोटे गांवों के ग्रामीणों को अस्पताल से लाभ मिल सकता है। अगर अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं सही हो जाए तो ग्रामीणों को बहुत लाभ मिलने लगेगा।
नहीं होता टीकाकरण
अस्पताल में बच्चों के टीकाकरण की भी व्यवस्था है। इसके लिए यहां पर एएनएम भी तैनात है। एएनएम की ओर से आठ सालों में एक दो बार ही अस्पताल में कैंप लगा कर टीकाकरण किया गया होगा। एएनएम अभी अस्पताल आती ही नहीं। कागजों में ही टीकाकरण हो जाते है। बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए ग्रामीणों को सहजनवां अस्पताल पहुंच कर टीका लगवाना पड़ता है।
अस्पताल की दुर्व्यवस्था को लेकर सारी जानकारी है। अस्पताल को ठीक कराने के लिए कई बार पत्र लिखा गया है। बजट आने के बाद उसे ठीक कर दिया जायेगा। कर्मचारियों के अनुपस्थिति के बारे में सूचना मिली है, जांच करा कर कार्रवाई की जायेगी।
जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत में सुधार के लिए सीएचसी प्रभारियों को यह आदेश दे दिए गए हैं कि वह अपने क्षेत्र में स्थित अस्पतालों की साफ-सफाई और रंगाई पुताई की व्यवस्था करें उनको इसके लिए बजट भी उपलब्ध करा दिया गया है।
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