इटावा।आल इंडिया लॉयर्स यूनियन इटावा इकाई की ओर से आयोजित प्रदेश स्तरीय सेमिनार में न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान व लोकतंत्र बचाओ पर आयोजित किया गया।मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित एवं रूपेन्द्र सिंह चौहान से संयुक्त रूप से बताया कि सेमिनार के विषय पर बोलते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान समय में वकीलों का दायित्व बनता है कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा हेतु सतत प्रयास जारी रखें।आज की तारीख में संविधान को जो बदलने की बात हो रही है वह देश के संघीय ढांचे पर प्रहार है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की जिम्मेदारी कानून के शासन और संवैधानिक मर्यादाओं और मूल्यों की जमकर हिफाजत करे।आल इंडिया लॉयर्स यूनियन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अनिल कुमार चौहान ने कहा कि एक्जीक्यूटिव,लेजिस्लेटिव और ज्यूडिशरी के संविधान में अलग अलग अनुच्छेद में व्याख्या की गई है तथा अपने अपने क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्वतंत्र हैं।वर्तमान समय में न्यायपालिका कार्यपालिका एवं विधायिका एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीश धाकड़ एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की लगातार आलोचना कर रहे हैं।वे न्यायिक समीक्षा के अधिकार पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
न्यायिक समीक्षा संविधान का मूलभूत संरचना का हिस्सा है।सेमिनार में सरकार से मांग की गई है कि न्यायाधीश के खाली पदों को शीघ्र भरे तथा कॉलेजियम की शिफारिश पर संबद्ध निर्णय सरकार से न्यायपालिका का बजट बढ़ाने का आव्हान भी किया गया। सेमिनार में ब्रजवीर सिंह ने विषय को रखा तथा जब्बार खां व नरोत्तम मिश्रा ने भी अपने विचार रखे।अंत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान व लोकतंत्र की सुरक्षा हेतु आगे आने का आव्हान करते हुए जिलाध्यक्ष विद्याराम भारती ने सेमिनार का समापन किया।
कार्यक्रम का संचालन अनिल कुमार गौर प्रदेश उपाध्यक्ष द्वारा किया गया इसमे जुबैर तैमूरी देवेंद्र पाल सिंह नासिर जलील मनोज गौर अक्षय राज भदौरिया मैराज अली खान अरुण राजपूत हँसमुखी हरविलास दोहरे नरेंद्र बाबू ब्रजेन्द्र गुप्ता मुकेश बाबू अवनीश यादव प्रहलाद यादव शिवम् सेंगर अतुल श्रीवास्तव साक्षी शर्मा वीनू चौधरी हेमा सिकरवार,अनुराग गौर मोहित भदौरिया सुनील टंडन राकेश वर्मा राहुल शाक्य श्याम बाबू यादव आदि व औरैया,मेरठ आगरा अलीगढ बुलंदशहर मुरादाबाद औरैया सुल्तानपुर जौनपुर लखनऊ प्रयागराज आदि जिलों के साथ लगभग 200 वकीलों ने सेमिनार में भाग लिया।