Wednesday, August 27, 2025
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आदर्श जीवन का समूचा ग्रन्थ था बाबू धनुषधारी सिंह का व्यक्तित्व व चरित्र : विजेन्द्र सिंह

बाबू धनुषधारी सिंह की 13वीं पुण्यतिथि मनायी गयी, दी गयी श्रद्धांजलि

आजमगढ़। आजमगढ़ से निकलकर समूचे पूर्वांचल में अपने अस्तित्व का बोध कराने वाले रणतूर्य अखबार के संस्थापक संपादक स्वर्गीय धनुषधारी सिंह की 13वीं पुण्यतिथि रणतूर्य अखबार परिसर में श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा से पूर्व सभी क्षेत्रों के आगत गणमान्यजनों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया। श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व व चरित्र पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि उनका व्यक्तित्व व चरित्र एक आदर्श जीवन का समूचा ग्रन्थ था, जिसे जीवन में उतारकर समाज के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शत्रुद्धन सिंह ने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह हमेशा सत्ता के खिलाफ अपने अखबार के माध्यम से एक मजबूत विपक्ष की तरह सामने खड़े रहते थे। उनका मानना था कि सरकार किसी भी दल का हो, उसके फैसले अकसर ही आम आदमी के खिलाफ हो ही जाया करते हैं। ऐसे में अखबार का दायित्व है कि वह आम आदमी के खिलाफ सरकार के लिए गये फैसले की खिलाफत में खड़ा रहे। अपने इसी दायित्व निर्वहन के कारण प्रायः उनको लोग सत्ताविरोधी के रूप में ही पहचानते थे।
भाजपा जिलाध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह ने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह की पत्रकारिता के केन्द्र में हमेशा गांव, गरीब, किसान व मजदूर रहा। उनका मानना था कि गांव का विकास हुए बगैर इस देश का विकास हो ही नहीं सकता है।

महाविद्यालय शिक्षक संघ के नेता डा0 प्रवेश सिंह ने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह इस जिले की हिन्दी पत्रकारिता के द्रोणाचार्य थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में पत्रकारिता की जो नर्सरी तैयार की थी, आज वह पुष्पित-पल्लवित होते हुए दिख रही है। उनसे पत्रकारिता सीखे हुए लोग आज देश के कोने-कोने में उनकी सिखायी हुई आदर्श पत्रकारिता को जी रहे हैं। महाराणा प्रताप सेना के सेनानायक विजेन्द्र सिंह ने कहा कि नाम के अनुरूप उनका व्यक्तित्व उनके अंदर साफ झलकता था। बाबू धनुषधारी सिंह जी ने अपने आदर्शों व सिद्धांतों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया। सदस्य विधान परिषद प्रतिनिधि सौरभ उपाध्याय ने कहा कि गांव छोड़कर शहर आने के बाद भी बाबू धनुषधारी सिंह जी का जुड़ाव अपने गांव के साथ हमेशा बना ही रहा। उन्होंने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह जी की लेखनी में हमेशा ही गांव का दर्द उभरकर सामने आता ही रहता था।

प्रमुख समाजवादी विचारक संजय श्रीवास्तव ने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह ने कई बार मजबूत स्तम्भ बनकर प्रशासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और प्रशासन को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों में जगदम्बा सिंह, डा0 सुभाष सिंह, रामदुलार राजभर, प्रवीण सिंह, राधेश्याम सिंह, एसके दत्ता, अरविन्द सिंह, एसके सत्येन, वसीम अहमद, आलोक सिंह, राजीव श्रीवास्तव, राजेश सिंह कटहन, प्रमोद सिंह, संदीप अस्थाना, अभिषेक उपाध्याय, अनिल कुमार पाण्डेय, रामकृष्ण यादव, दीपक सिंह, अच्युतानंद त्रिपाठी, विनोद सिंह, हर्षबर्धन अग्रवाल, दुर्गेश श्रीवास्तव, प्रेम यादव आदि रहे। आगतों के प्रति आभार ज्ञापन स्व0 धनुषधारी सिंह के पुत्रों रणतूर्य अखबार के प्रधान संपादक राजकुमार सिंह, स्थानीय संपादक महेन्द्र सिंह, विज्ञापन व्यवस्थापक देवेन्द्र सिंह, पौत्र शार्दूल सिंह, आदर्श सिंह, शिवप्रयाग सिंह आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि संजय पाण्डेय किए।

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