Wednesday, August 27, 2025
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निरंतर अभ्यास सीखने का सबसे अच्छा साधन -प्रधानाचार्य

भावातीत ध्यान से निर्मित विशुद्ध चेतना विश्व शांति की स्थापना में सहायक सिद्ध होगी – जे एन उपाध्याय

सुल्तानपुर।शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के पंचम दिवस को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य जे एन उपाध्याय ने कहा कि चेतना आधारित शिक्षा के विकास के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि शिक्षक ही स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर्ता होता है। आज के विषय वस्तु पर चर्चा करते हुए आपने कहा कि शिक्षक समाज का दर्पण होता है। इसलिए जो हम अपने बच्चों से अपेक्षा करते हैं उन सभी नियमों व सामाजिक क्रिया कलापों का पालन करना चाहिए जैसे समाज का निर्माण हम करना चाहते है। महर्षि जी कहते हैं कि मनुष्य की चेतना का जितना अधिक विस्तार होगा भारत की आने वाली पीढियों की चेतना का स्तर उतना ही उच्च होगा, जिसका प्राथमिक आधार भावातीत ध्यान है।

कोर्स डिप्टी डायरेक्टर संजीव तिवारी ने बताया कि पाठ्यक्रम सरल और सुगम होना चाहिए। आदर्श शिक्षण व्यवस्था तथा शिक्षक एवं शिक्षार्थी के उच्च आदर्श व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए डिप्टी डायरेक्टर पुष्कर तिवारी ने बताया कि एक आदर्श शिक्षक वह होता है जो कि छात्रों में सीखने की लालसा को जगाए उसके रचनात्मकता पक्ष को समझ कर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें तथा उसकी भावनाओं को समझ कर उसे जिज्ञासु बनाएं जो कि लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोगी हों।

महर्षि विद्या मंदिर सुल्तानपुर के शिक्षक प्रीतेश सुशील ने कहा कि बच्चों के अंदर पाठ्यक्रमानुसार खोजी प्रवृत्ति को जगाना चाहिए इससे उन्हें अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सहायता मिलेगी। भाविका सिंह ने कहा कि शिक्षक छात्रों में सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है इसी कड़ी में कई प्रशिक्षार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

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