Data Decode : हवाई जहाज सुरक्षित, लेकिन लैंडिंग में सबसे ज्यादा खतरा, टर्बोप्रॉप विमानों में फैटालिटी रिस्क सात गुना ज्यादा

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हालिया एयर इंडिया की विमान दुर्घटना ने भारत समेत ग्लोबल स्तर पर विमान की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) की रिपोर्ट बताती है कि बीते कुछ सालों में भले ही हादसे बढ़े, पर उनकी गंभीरता या मृत्यु की संभावना कम हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हादसों को कम करने के लिए विमान सेफ्टी प्रक्रिया को अधिक दुरुस्त करने की आवश्यकता है। वह सुझाव देते हैं कि सतर्कता, निगरानी और सुधार की प्रक्रिया को सतत जारी रखना चाहिए। रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर हादसे टेकऑफ़ और लैंडिंग जैसे अहम चरणों में हो रहे हैं।

आईएटीए की रिपोर्ट बताती है कि, कुल हादसों की संख्या में इजाफा देखा गया, परंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि मृत्यु जोखिम यानी ‘फैटालिटी रिस्क’ में गिरावट आई है। इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर दुर्घटनाओं, हताहतों, और जोखिम मापदंडों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

हादसों की कुल संख्या में इजाफा

2024 में कुल 46 विमान हादसे हुए, जो 2023 के 42 हादसों की तुलना में अधिक हैं। यह संख्या 5 वर्षों के औसत (39) से भी अधिक है। इसका अर्थ यह है कि हालांकि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण, और निगरानी बेहतर हुई है, फिर भी कुछ हादसे हुए। जिनमें से कई तकनीकी खामी, रनवे घटनाएं, और अन्य एंड स्टेट घटनाओं से जुड़ी थीं। विशेष रूप से ध्यान देने योग्य यह है कि अन्य फैटलिटीज नामक एक नया वर्ग 2023 से जोड़ा गया है, जिसमें जमीन पर हुई मौतें और दूसरे विमान या वाहनों की टक्कर से हुई मौतें शामिल हैं।

फैटल एक्सीडेंट और मृत्यु जोखिम में गिरावट

2024 में केवल 7 फैटाल एक्सीडेंट (घातक हादसे) हुए, जिनमें कुल 244 ऑन-बोर्ड और 7 अन्य मौतें हुईं। यह संख्या 2023 में केवल 1 फैटल एक्सीडेंट और 72 मौतों की तुलना में अधिक है, परंतु जब इन आंकड़ों को उड़ान की कुल संख्या (सेक्टर्स) के संदर्भ में देखा जाता है, तो फैटालिटी रिस्क मात्र 0.06 पर था, जो कि 5-वर्षीय औसत 0.10 से कम है। इसका मतलब यह हुआ कि भले ही हादसे बढ़े, पर उनकी गंभीरता या मृत्यु की संभावना कम हुई है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि उद्योग सुरक्षा की ओर लगातार बेहतर हो रहा है।

आईओएसए बनाम नॉन-आईओएसए ऑपरेटर

आईओएसए (आईएटीए ऑपरेशनल सेफ्टी ऑडिट) प्रमाणित एयरलाइनों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया। आईओएसए एयरलाइनों का एक्सीडेंट रेट 2024 में 0.92 रहा, जबकि नॉन-आईओएसए एयरलाइनों का रेट 1.70 था। इसी तरह फैटालिटी रिस्क में भी आईओएसए एयरलाइनों का प्रदर्शन अधिक सुरक्षित रहा। इससे यह स्पष्ट होता है कि आईओएसए ऑडिट प्रणाली सुरक्षा बढ़ाने में प्रभावी है और इससे जुड़ी एयरलाइनों में संचालन अधिक संरचित और नियंत्रित होता है।

कुछ क्षेत्रों में चिंता बरकरार

2024 में अफ्रीका (AFI) में एक्सीडेंट रेट सबसे अधिक 10.59 रहा, जो वैश्विक औसत से कहीं ज़्यादा है। वहीं, यूरोप (1.02), उत्तरी अमेरिका (1.20), और एशिया पैसिफिक (1.04) जैसे क्षेत्रों में दरें कम रहीं। मध्य पूर्व (एमईएनए) और उत्तरी एशिया (एनएएसआईए) जैसे क्षेत्रों में फैटालिटी रिस्क शून्य दर्ज हुआ, जो उल्लेखनीय है। इस क्षेत्रीय विविधता को ध्यान में रखते हुए, आईएटीए ने विशेष निगरानी, प्रशिक्षण और स्थानीय एयरलाइनों के साथ सहयोग को तेज करने की सिफारिश की है।

जेट बनाम टर्बोप्रॉप

2024 में जेट एयरक्राफ्ट की फैटालिटी रिस्क दर 0.03 रही, जबकि टर्बोप्रॉप विमानों के लिए यह दर 0.28 रही। इससे यह स्पष्ट है कि छोटे और रीजनल विमानों में अब भी अधिक जोखिम मौजूद है। हालांकि यह दर 5 साल के औसत 0.67 से काफी कम है, फिर भी यह क्षेत्र सुरक्षा सुधार के लिए फोकस में बना हुआ है। हवाई जहाज दो तरह के इंजनों से उड़ते हैं, जेट और टर्बोप्रॉप। जेट इंजन तेज होता है और ज्यादा ऊंचाई पर उड़ता है। इसमें हवा को जलाकर जोरदार धक्का (थ्रस्ट) पैदा किया जाता है, जिससे प्लेन तेज उड़ता है। ये आमतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों और बड़े हवाईअड्डों के लिए होते हैं।

टर्बोप्रॉप इंजन में एक पंखा (प्रोपेलर) होता है जिसे गैस टरबाइन घुमाती है। ये कम ऊंचाई और कम दूरी के लिए बने होते हैं। छोटे शहरों, पहाड़ी इलाकों या क्षेत्रीय उड़ानों के लिए टर्बोप्रॉप ज्यादा उपयुक्त होते हैं। जेट प्लेन तेज, आरामदायक और कम शोर वाले होते हैं। जबकि टर्बोप्रॉप थोड़े धीमे, थोड़े शोर वाले लेकिन ईंधन की बचत करने वाले होते हैं।

किन क्षेत्रों में ज़्यादा खतरा

2024 में “अदर इन स्टेट” श्रेणी में सबसे अधिक 182 मौतें दर्ज की गईं। इसके बाद लॉस ऑफ कंट्रोल फ्लाइट (LOC-I) श्रेणी में 62 मौतें हुईं। रनवे एक्सकर्शन, गियर फेल्योर, टेल स्ट्राइक, और हार्ड लैंडिंग जैसे हादसे भी बड़ी संख्या में सामने आए। यह रुझान दिखाता है कि ज़्यादातर हादसे टेकऑफ़ और लैंडिंग जैसे अहम चरणों में हो रहे हैं। “अदर इन स्टेट ” एक प्रशासनिक या रिपोर्टिंग श्रेणी है, जिसका उपयोग राज्य के भीतर ही हुई लेकिन बिना स्पष्ट जिले या लोकेशन के दर्ज की गई घटनाओं के लिए किया जाता है। यह शब्द आमतौर पर राष्ट्रीय या राज्य स्तर की रिपोर्टों में तब प्रयोग किया जाता है जब कोई घटना किसी जिले से स्पष्ट रूप से संबद्ध न हो पाई हो या उसका विवरण अधूरा हो।

डेटा की परिशुद्धता और परिभाषाओं में बदलाव

रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 2023 से ‘एक्सीडेंट’ की परिभाषा में बदलाव हुआ है। अब उन मौतों को भी शामिल किया गया है जो ज़मीन पर या अन्य विमान से हुई टक्कर में हुई हैं। साथ ही, आंकड़ों में छोटे बदलाव और परिशुद्धता सुधार भी किए गए हैं।

रास्ता सुरक्षित है, लेकिन निगरानी जारी रखनी होगी

विमानन उद्योग ने 2024 में सुरक्षा के क्षेत्र में ठोस सुधार दर्शाया है। फैटालिटी रिस्क में गिरावट, आईओएसए प्रमाणित एयरलाइनों का बेहतर रिकॉर्ड, और क्षेत्रीय स्तर पर कुछ क्षेत्रों की उत्कृष्ट सुरक्षा, यह सभी दर्शाते हैं कि वैश्विक उड़ान अब पहले से अधिक सुरक्षित है। हालांकि, हादसों की संख्या और कुछ क्षेत्रों में उच्च जोखिम यह याद दिलाते हैं कि सतर्कता, निगरानी और सुधार की प्रक्रिया को थमने नहीं देना चाहिए।

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