उरई (जालौन)।जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में बर्ड फ्लू के संभावित खतरे को देखते हुए संबंधित विभागों को आवश्यक तैयारियाँ सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी विभागों को अपनी भूमिका के अनुसार तत्पर रहना होगा। सर्विलांस जोन में मुर्गियों की कलिंग व दफन की तैयारी जिलाधिकारी ने समस्त उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि सर्विलांस जोन में पक्षियों की कलिंग एवं दफन हेतु स्थलों की पहचान कर ली जाए। साथ ही मुर्गी पालकों को होने वाली आर्थिक क्षति का आकलन कर शीघ्र भुगतान की व्यवस्था की जाए।
उपकरणों और मशीनों की व्यवस्था अधिशासी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए कि कलिंग किए गए पक्षियों के निपटान हेतु जेसीबी, फॉगिंग मशीन और स्प्रे मशीन आदि की व्यवस्था पूरी रखें, ताकि आकस्मिक स्थिति में कार्य में बाधा न हो। जंगलों और जलस्रोतों पर विशेष निगरानी प्रभागीय वन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि जंगलों, तालाबों व पोखरों में निगरानी बढ़ाएं। यदि कहीं बड़ी संख्या में मृत पक्षी मिलते हैं, तो इसकी सूचना तुरंत मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को दें। मानव स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान मुख्य चिकित्साधिकारी को बर्ड फ्लू के प्रकोप की स्थिति में ईपी सेंटर कर्मचारियों व आम जनमानस के स्वास्थ्य परीक्षण की संपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अंतर्गत एंटीवायरल दवाएं, सैनिटाइजर, पीपीई किट, मास्क व आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था शामिल है।
प्रशासनिक, पुलिस और पंचायत विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका उपजिलाधिकारियों को आरआरटी (रेपिड रिस्पॉन्स टीम) के गठन, जनजागरूकता, सुरक्षा एवं प्रभावित मुर्गियों के दफन स्थल की सुरक्षा हेतु आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा गया। वहीं, ग्राम प्रधानों व पंचायत अधिकारियों को भी जिम्मेदारियों से अवगत कराया जाए। पुलिस विभाग को निर्देशित किया गया कि बीमारी के फैलाव की स्थिति में कानून व्यवस्था, यातायात नियंत्रण, पक्षियों एवं अंडों के परिवहन पर रोक तथा राज्य सीमाएं सील करने की तैयारी रखें। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता पर जोर नगर निकायों को मीट व मुर्गी दुकानों पर नियंत्रण रखने व कीटाणुशोधन के लिए दवाओं का छिड़काव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी संसाधन उपलब्ध कराने को कहा गया है।
जल प्रबंधन व सिंचाई विभाग को मिली जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को प्रभावित पोल्ट्री फार्मों की सफाई हेतु जल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। यदि नहरों में मृत पक्षी पाए जाएं तो उन्हें तुरंत हटाकर पशु चिकित्सा विभाग को सूचित किया जाए। पशुपालन विभाग रखेगा समन्वय पशुपालन विभाग को सभी विभागों से समन्वय बनाए रखने, नियमित सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने तथा आवश्यक सूचनाएं संकलित कर नियंत्रण की दिशा में कार्य करने को कहा गया है। पोल्ट्री फार्मों की सूची, रूट चार्ट आदि तैयार करने और केंद्र एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को भी कहा गया।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र देव शर्मा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अवस्थी, जिला पंचायत राज अधिकारी राम अयोध्या प्रसाद समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।