डॉक्टर डेथ के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा ने अपराध की दुनिया में कदम फर्जी गैस एजेंसी खोलकर रखा। वह एलपीजी सिलेंडर से भरे ट्रक लूटता और चालकों की हत्या कर देता था। शवों को कासगंज नहर में फेंक देता था जहाँ मगरमच्छ उन्हें खा जाते थे। 2020 में पैरोल पर छूटने के बाद उसने दिल्ली में एक विधवा से शादी की और प्रॉपर्टी का काम करने लगा।
डॉक्टर डेथ के नाम से विख्यात डॉ. देवेंद्र शर्मा शुरू से ही शातिर रहा है। उसने जरायम की दुनिया में कदम जिले के ही कस्बा छर्रा में एक फर्जी गैस एजेंसी खोलने के साथ रखा था। एलपीजी सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों को लूटता और लोगों को देता था।
एक ट्रक लूट की घटना में उसे गिरफ्तार किया था। डॉक्टर डेथ शवों को कासगंज नहर में फेंकता रहा। इस नहर में मगरमच्छ हैं। नरौरा से पानी छोड़े जाने के दौरान छोटे मगरमच्छ पानी के साथ आ जाते हैं, जो बड़े हो जाते हैं।
डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा छर्रा के पुरैनी गांव का रहने वाला है। उसका भाई उत्तराखंड के रुड़की में रहता है। वर्तमान में गांव में कोई नहीं रहता। देवेंद्र ने बिहार के सिवान से बीएएमएस करने के बाद सबसे पहले वर्ष 1984 से 11 वर्ष तक जयपुर के बांदीकुई में जनता हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक के नाम से क्लीनिक चलाया।
वर्ष 1982 में शादी हुई। वर्ष 1994 में भारत फ्यूल कंपनी की ओर से गैस डीलरशिप देने की योजना चलाई थी, जिसमें 11 लाख रुपये का निवेश किया था। इस कंपनी के अचानक गायब होने से उसका पैसा डूब गया। वर्ष 1995 में कस्बा छर्रा में भारत पेट्रोलियम की एक नकली गैस एजेंसी शुरू की।
क्षेत्र के गांव दलालपुर निवासी उदयवीर, वेदवीर और राज के संपर्क में आया। पुलिस पूछताछ में उसने बताया था कि इन तीनों लोगों के साथ मिलकर उसने चालकों की हत्या करके एलपीजी सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों को लूटना शुरू किया।
फर्जी गैस एजेंसी में सिलेंडर उतारकर मेरठ में लूटे गए ट्रक को बेचते थे। डेढ़ वर्ष बाद उसे नकली गैस एजेंसी चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया। तब पुलिस ने घरों से सिलेंडर बरामद किए थे।
वर्ष 2004 में अलीगढ़ के अतरौली थाने में 2004 में हत्या व साक्ष्य छुपाने का मुकदमा निल पर दर्ज हुआ था, जो बाद में छतारी (बुलंदशहर) ट्रांसफर हो गया। अतरौली के रायपुर स्टेशन के पास डॉ. देवेंद्र एक गाड़ी के साथ पकड़ा गया था, जिसमें शव भी था। जिसे वह ठिकाने लगाने के लिए जा रहा था।
दो साल पहले आया था गांव
वर्ष 2020 में हत्या के एक मामले में ताउम्र सजायाफ्ता देवेंद्र शर्मा को जयपुर की सेंट्रल जेल से जनवरी में 20 दिन के पैरोल मिली थी। तब वह छर्रा थाने में नियमित हाजिरी लगाने आता था। इसी दौरान वह एक दिन कार से गांव गया था। आधा घंटा ही रहा होगा। इसके बाद वह लापता हो गया।
पैरोल पर बाहर आने के बाद पुलिस से बचने के लिए दिल्ली में एक विधवा से शादी की और उसके साथ रहते हुए प्रॉपर्टी का काम करने लगा। छह माह बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था।
गांव के लोगों का कहना है कि पुश्तैनी मकान में कोई नहीं रहता। पिताजी के नाम 13 से 14 बीघा खेती है। तब उसने खेती और मकान बेचने के बारे में लोगों से चर्चा की थी। इसके बाद वह गांव नहीं आया। गांव के 80 प्रतिशत लोग तो उसे पहचानते तक नहीं है।
छर्रा थाने में खुली हुई है क्राइम हिस्ट्रीशीट
अपराध के लिए देवेंद्र एनसीआर को ही केंद्र में रखा। अलीगढ़ का होने के नाते वह आसपास की भौगोलिक परिस्थिति से परिचित था। अलीगढ़ से लेकर दिल्ली व अन्य मार्गों को जानता था। अपराध के बाद वह पुलिस से बचने के लिए इन्हीं मार्गों का इस्तेमाल करता था।
पुलिस के अनुसार, छर्रा में खुली हिस्ट्रीशीट में उस पर 19 मुकदमे शामिल हैं। इनमें हत्या, साक्ष्य छुपाने व अपहरण के आठ केस हैं। सभी घटनाओं को अलीगढ़ के बाहर ही अंजाम दिया।
1995 में वृंदावन (मथुरा) में एक हत्या की थी। उसी साल हाथरस के सासनी में हत्या को अंजाम दिया था। 2002 में फरीदाबाद में अपहरण कर हत्या व साक्ष्य छुपाने का एक मुकदमा दर्ज हुआ। उसी साल राजस्थान के हिंडोन सिटी में हुई एक हत्या हुई।
2003 में हरियाणा के पलवल में अपहरण कर हत्या व साक्ष्य मिटाने के दो, होडल में 2004 में हत्या व साक्ष्य छुपाने का एक मामला शामिल है। अलीगढ़ के अतरौली थाने में 2004 में हत्या व साक्ष्य छुपाने का मुकदमा निल पर दर्ज हुआ था, जो बाद में छतारी (बुलंदशहर) ट्रांसफर हो गया।