उरई (जालौन)। पंचनद के जंगल में लगी आग पर वन विभाग एवं प्रशासन के द्वारा नियंत्रित किए जाने के प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। जंगल में लगी आग को 36 घंटे बीत जाने के बावजूद उस पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है ।परिणाम स्वरूप हजारों की संख्या में लहलहाते हरे भरे विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे जिंदा आग की भेंट चढ़ गए हैं।
माधौगढ़ तहसील अंतर्गत जगम्मनपुर ,कंजौसा, भिटौरा गांव के मध्य फैला पंचनद का विशाल जंगल बीते 36 घंटे से आग की ज्वाला में राख हो रहा है। इस आग को जंगल में होती अनपेक्षित घास ऊर्जा देते हुए सहायता प्रदान कर आगे बढ़ने का मौका दे रही है। दिनांक 16 मई शुक्रवार को सुबह 7:00 बजे से जंगल में लगी आग पर 17 मई शनिवार की शाम तक काबू नहीं पाया जा सका है। परिणाम स्वरूप जंगल में वह पेड़ पौधे जो तनिक सी वयार चलने पर संगीत पैदा करते थे ,पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायक होते थे और जंगल की खूबसूरती और पृथ्वी का श्रंगार होते थे आग की इस विभीषिका में जलकर भस्मीभूत हो गए हैं।
कल तक पंचनद का जो जंगल हरा-भरा और खूबसूरत दिखाई देता था वह आज काला और भयानक दिखाई दे रहा है। जंगल में लगी उक्त आग को बुझाने के लिए वन विभाग की ओर से 24 घंटे तक तो कोई उपाय करना तो दूर इस तरफ कोई जिम्मेदार कर्मचारी अधिकारी तक नहीं आया। जब शुक्रवार/ शनिवार की रात में आग ने प्रचंड रूप धारण कर लिया और जगम्मनपुर भिटौरा गांव के ग्रामीणों में हाहाकार मच गया तब जनता ने प्रलयंकारी आग के खतरे से आगाह किया तब प्रशासन एवं वन विभाग को चेतना आई और इस बड़े जंगल की आग बुझाने के लिए डंडा लेकर कुछ कर्मचारी भेज दिए। जो सिर पर कपड़ा बांध दूर से ही आग बुझाने का उपक्रम कर रहे थे । वन विभाग एवं प्रशासन के इन नाकाफी उपायों से ना तो आग बुझाई जा सकती थी और ना ही बुझाई जा सकी है । आग तो किसी ज्वलनशील वस्तु का सहारा पाकर ही जलेगी ज्वलनशील वस्तु न मिलने पर स्वतः बुझी जाएगी। आग ने पंचनद के जंगल के हजारों नए पुराने बृक्ष व पौधों को भस्मीभूत कर दिया है।
उक्त संदर्भ में वन क्षेत्राधिकारी (रेंजर ) रंजीत सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जंगल में आग लगने की सूचना पर वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को भेजा गया है ,उप जिलाधिकारी माधौगढ़ से आग पर नियंत्रण पाने के उपायों पर चर्चा हुई है, अपने उच्चाधिकारी डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर को स्थिति से अवगत कराया गया है । वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी आग बुझाने के उपाय कर रहे हैं जंगल में ऊंची नीची घाटियां होने व रास्ता ना होने के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ी अंदर जंगल में नहीं पहुंच पा रही है इसलिए आग पर नियंत्रण पाना कठिन हो रहा है। इस आग में कितने वृक्षों का नुकसान हुआ है इसका आंकलन आग बुझाने के बाद ही किया जा सकता है । आग लगने के कारण पर उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा खेतों की पराली जलाने के कारण उठी चिंगारी से हरा-भरा जंगल आग में जलकर स्वाहा हो गया है।