लखनऊ ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के परिसर में अब हर पेड़ को मिलेगी एक खास डिजिटल पहचान। विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर के सभी पेड़ों पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाए हैं, जिससे विद्यार्थी , शिक्षक व आगंतुक अब हर पेड़ से जुड़ी जानकारी को अपने मोबाइल फोन से एक स्कैन में प्राप्त कर सकेंगे।
यह नवाचार माननीय कुलगुरु प्रो. अजय तनेजा के कुशल मार्गदर्शन में प्रारंभ किया गया है। परियोजना का उद्देश्य छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, जैव विविधता की जानकारी बढ़ाना और विश्वविद्यालय परिसर की हरित धरोहर का डिजिटल दस्तावेजीकरण करना है।
इस अभिनव पहल को डॉ. सुमन, डॉ दिगेश और डॉ. शालिनी जैसे समर्पित शिक्षकों ने मिलकर सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। डॉ. शालिनी ने विशेष रूप से पेड़ों की पहचान में अहम योगदान दिया। वहीं, शुभम रस्तोगी और नैंसी द्वारा भी सहयोग दिया गया। डॉ दिगेश ने तकनीकी समन्वय और डेटा डिजिटाइजेशन में सक्रिय भूमिका निभाई।
इस टीम ने पेड़ों की वैज्ञानिक जानकारी, प्रजाति, आयु, औषधीय गुण, स्थानीय नाम व पर्यावरणीय महत्व जैसी जानकारियों को एकत्र कर डिजिटल प्रारूप में तैयार किया, जिसे अब क्यूआर कोड स्कैन कर सरलता से देखा जा सकता है।
इस अवसर पर कुलगुरु, प्रो. अजय तनेजा ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा, “यह पहल छात्रों को प्रकृति से जोड़ने और डिजिटल तकनीक के सकारात्मक उपयोग की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। हमारा उद्देश्य एक हरित और स्मार्ट कैंपस का निर्माण करना है।”
यह परियोजना विश्वविद्यालय को स्मार्ट और पर्यावरण-संवेदनशील संस्थान के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त पहल मानी जा रही है।
इस अवसर पर अंकित, मोहसिन, क़ायम एवं शमीम ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी ।