Virat Kohli ने 12 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का एलान किया। किंग कोहली का ये फैसला रोहित शर्मा के टेस्ट रिटायरमेंट के 5 दिन बाद आया। सिडनी में इस साल की शुरुआत में उनका आखिरी टेस्ट भले ही खेला गया था लेकिन अब एक पूरे युग पर विराम लग गया है। एक ऐसा युग जिसने भारतीय क्रिकेट की मानसिकता और पहचान को पूरी तरह बदल दिया।
विराट कोहली ने आधिकारिक तौर पर टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। सिडनी में साल की शुरुआत में उनका आखिरी टेस्ट भले ही खेला गया था, लेकिन अब एक पूरे युग पर विराम लग गया है। एक ऐसा युग जिसने भारतीय क्रिकेट की मानसिकता और पहचान को पूरी तरह बदल दिया। कोहली ने 2022 में केपटाउन में टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ी थी, लेकिन लंबे समय तक वे टीम की आत्मा बने रहे।
उनके बल्ले, आक्रामक जश्न और जोशीले रवैये से कहीं बढ़कर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में एक क्रांति खड़ी की, जो थी तेज गेंदबाजी की क्रांति। भारत जो कभी धीमी पिचों और स्पिन के लिए जाना जाता था, वहां कोहली ने तेज गेंदबाजों को हथियार बनाया। इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और बाद में मोहम्मद सिराज। इनमें से हर एक को कोहली ने न सिर्फ मौका दिया, बल्कि पूरी ताकत से उनका साथ दिया।
भारतीय क्रिकेट की मानसिकता और पहचान को पूरी तरह बदला
कोहली के नेतृत्व में भारतीय तेज गेंदबाजों ने विदेशों में ही नहीं, घरेलू मैदानों पर भी बल्लेबाजों को पछाड़ा। 2018-19 में आस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत इस बदलाव का प्रतीक थी। बुमराह, शमी और इशांत ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को उनकी ही धरती पर पस्त किया।
कोहली की आक्रामक कप्तानी और तेज गेंदबाजों पर विश्वास ने इसे संभव बनाया। विराट कोहली का यह आत्मविश्वास घर में भी दिखा। 2016 में कोलकाता टेस्ट में हर कोई स्पिन ट्रैक की उम्मीद कर रहा था, लेकिन हरी पिच पर भुवनेश्वर कुमार (पांच विकेट) की अगुआई में तेज गेंदबाजों ने 12 विकेट लेकर मैच पलट दिया। बाद में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध घरेलू सीरीज में भी तेज गेंदबाजों ने बाजी मारी।
आंकड़ों में तेज गेंदबाजी युग
51 टेस्ट मैचों में कोहली की कप्तानी में भारतीय तेज गेंदबाजों ने 420 विकेट लिए और वह भी 26.79 की औसत से। यह किसी भी भारतीय कप्तान के लिए अभूतपूर्व आंकड़ा है। टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने कहा था, हमारा लक्ष्य था कि पिच को समीकरण से बाहर कर दिया जाए। 20 विकेट चाहिए, चाहे कहीं भी खेल रहे हों। हालांकि इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में कोहली सीरीज नहीं जीत सके, लेकिन भारत हर बार मुकाबले में था और इसकी वजह तेज गेंदबाज ही थे।
2021 के लार्ड्स टेस्ट में कोहली का जोश फिर दिखा, जब बुमराह और शमी ने बल्ले से रन बनाकर फिर गेंद से इंग्लैंड को तहस-नहस कर दिया।कप्तानी छोड़ने के बाद भी कोहली की बनाई संस्कृति बनी रही। 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ युवा तेज गेंदबाजों की अगुआई में भारत ने गाबा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और कोहली के जुनून की परछाईं उस टीम पर साफ दिखती थी।
आज भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल चुका है। हरी पिचें अब डर का कारण नहीं, बल्कि चुनौती बन चुकी हैं। और इसका श्रेय उस विराट कोहली को जाता है, जिसने भारतीय क्रिकेट को तेज बना दिया। कोहली भले ही अब सफेद जर्सी में नहीं दिखेंगे, लेकिन तेज गेंदबाजी को लेकर उनका सोच व जुनून आने वाली पीढ़ियों को दिशा देता रहेगा।