लखनऊ। न्याय की राह में जहां अक्सर आम आदमी खुद को असहाय महसूस करता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न केवल अपने मुवक्किल के अधिकारों की रक्षा करते हैं, बल्कि समाज में भी न्याय की लौ को प्रज्वलित करते हैं। ऐसा ही एक नाम है अधिवक्ता मोहम्मद नजरूल आब्दीन का, जिन्होंने हाल ही में एक अहम मुकदमे में अपनी कानूनी दक्षता और दमदार पैरवी से लखनऊ निवासी मोहम्मद माज को हाईकोर्ट से जमानत दिलाने में सफलता प्राप्त की।
यह मामला अपराध संख्या 481/2024 से संबंधित था, जिसमें मोहम्मद माज आरोपी थे। याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकलपीठ ने उनके पक्ष में निर्णय दिया। यह आदेश अधिवक्ता मोहम्मद नजरूल आब्दीन द्वारा की गई गंभीर और प्रभावशाली बहस के फलस्वरूप आया।
अधिवक्ता मोहम्मद नजरूल आब्दीन, जो उत्तर प्रदेश की न्यायिक बिरादरी में एक उभरता हुआ तेजस्वी नाम हैं, निरंतर अपनी मेहनत, समर्पण और ईमानदार प्रयासों के माध्यम से न केवल कानूनी सफलता अर्जित कर रहे हैं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के लिए भी एक आशा की किरण बनकर उभरे हैं। उनकी वकालत केवल पेशे तक सीमित नहीं, बल्कि वह न्याय को जन-जन तक पहुंचाने के मिशन के रूप में इसे निभा रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बहुत ही कम समय में हाईकोर्ट, सिविल कोर्ट और विभिन्न न्यायिक मंचों पर अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी वकालत में एक खास बात यह है कि वे हर मामले को पूरी संवेदनशीलता, कानूनी सूझबूझ और रणनीतिक दृष्टिकोण से लड़ते हैं। उनकी प्रस्तुतियां अदालत में तर्क और तथ्यों के साथ इतनी सशक्त होती हैं कि न्यायाधीश भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहते।
यह मामला भी उनकी उसी प्रतिबद्धता का परिणाम है, जहां उन्होंने आरोपी की पृष्ठभूमि, परिस्थितियों और कानून की धाराओं के अंतर्गत यह स्पष्ट किया कि जमानत देना न्यायोचित होगा। उनकी दलीलों से संतुष्ट होकर माननीय न्यायालय ने जमानत मंजूर की।
आज जब अधिवक्ता मोहम्मद नजरूल आब्दीन जैसे वकील न्याय के क्षेत्र में सक्रिय हैं, तब यह भरोसा और मजबूत होता है कि न्याय अब केवल विशेष वर्गों तक सीमित नहीं रहेगा। वे एक प्रेरणा हैं उन सभी युवाओं के लिए जो कानून को केवल करियर नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम मानते हैं।