अक्सर लोग मानते हैं कि Non-Vegetarian Foods जैसे कि चिकन और मटन विटामिन बी12 का एक अच्छा सोर्स हैं। यह बात कुछ हद तक सही भी है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग जो नियमित रूप से चिकन और मटन खाते हैं उनके शरीर में भी विटामिन बी12 की कमी (Vitamin B12 Deficiency) क्यों हो जाती है? जी हां यह सवाल कई लोगों को परेशान करता है।
हममें से बहुत से लोग मानते हैं कि अगर हम नॉन-वेजिटेरियन हैं और चिकन, मटन, अंडा आदि खाते हैं, तो हमारे शरीर में विटामिन B12 की कमी (Vitamin B12 Deficiency) नहीं हो सकती, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि आजकल बहुत से नॉन-वेज खाने वालों को भी B12 की कमी झेलनी पड़ रही है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या हमारी थाली में कुछ कमी है या फिर हमारे शरीर में ही कोई ‘अंदर की बात’ (B12 Health Tips) है जिसे हम नजरअंदाज कर रहे हैं?
इस सवाल का जवाब (B12 Deficiency Causes) जानने के लिए हमने बात की, आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा से, जिन्होंने बताया कि सिर्फ खाना ही काफी नहीं होता, शरीर का उसे अवशोषित करना यानी सही तरीके से एब्जॉर्ब करना भी उतना ही जरूरी है।
विटामिन B12 क्या है और क्यों जरूरी है?
विटामिन B12 एक जरूरी पोषक तत्व है, जो हमारी नसों, दिमाग और ब्लड सेल्स को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसकी कमी से थकान, कमजोरी, याददाश्त की कमी, चक्कर आना और यहां तक कि डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
यह मुख्य रूप से जानवरों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में पाया जाता है- जैसे कि मांस, अंडा, दूध, दही और चीज। इसलिए आमतौर पर माना जाता है कि जो लोग नॉन-वेज खाते हैं, उन्हें इसकी कमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है।
तो फिर समस्या कहां है?
डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा बताते हैं कि “B12 की कमी सिर्फ खाने से नहीं, बल्कि उसके पाचन और अवशोषण से भी जुड़ी होती है। यानी अगर आपका शरीर B12 को सही से पचा और ग्रहण नहीं कर पा रहा, तो चाहे आप रोज चिकन-मटन खाएं, फायदा नहीं होगा।”
आइए जानते हैं वो ‘अंदर की बातें’ जो इस कमी की वजह बन सकती हैं:
पेट की समस्याएं
अगर किसी को गैस्ट्राइटिस, एसिडिटी, या पेट में सूजन जैसी समस्या है, तो उसके शरीर में B12 को पचाने वाला इंट्रिंसिक फैक्टर कम बनता है। इसके बिना B12 का अवशोषण नहीं हो पाता। यही कारण है कि पेट की हल्की सी समस्या भी B12 की कमी का कारण बन सकती है।
गट हेल्थ का बिगड़ना
हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और पोषण का एक बड़ा हिस्सा हमारी आंतों से जुड़ा होता है। खराब गट हेल्थ (जैसे IBS, लीक गट, या बार-बार एंटीबायोटिक का सेवन) B12 के अवशोषण में रुकावट डाल सकती है।
वीगन डाइट का प्रभाव
कुछ लोग भले ही नॉनवेज खाते हों, लेकिन अगर उनका खानपान बैलेंस्ड नहीं है या वो सिर्फ प्रोसेस्ड मीट जैसे सॉसेज, नगेट्स आदि खाते हैं, तो उसमें जरूरी पोषक तत्व अक्सर कम होते हैं। इसके अलावा, बहुत से लोग फैट कम करने के चक्कर में दूध और अंडे से दूरी बना लेते हैं, जिससे B12 की पूर्ति नहीं हो पाती।
कुछ दवाइयों का असर
डॉ. बताते हैं कि “कुछ दवाइयां जैसे मेटफॉर्मिन (डायबिटीज के लिए) या एंटासिड (गैस/एसिडिटी के लिए) लंबे समय तक लेने से B12 के स्तर पर असर पड़ सकता है।”
बढ़ती उम्र का असर
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता कम होती जाती है। 50 साल से ऊपर के लोगों में B12 की कमी आम देखी जाती है, चाहे वे नॉनवेज खाते हों या नहीं।
कैसे पता करें कि शरीर में B12 की कमी है?
इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें:
- बार-बार थकान होना
- हाथ-पैरों में झनझनाहट
- एकाग्रता में कमी
- मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
- बाल झड़ना
कैसे दूर करें विटामिन बी12 की कमी?
- बैलेंस डाइट: चिकन-मटन के साथ-साथ अंडा, दूध, दही और चीज़ को भी डाइट में शामिल करें।
- गट हेल्थ सुधारे: प्रोबायोटिक फूड (जैसे दही, छाछ, किमची) का सेवन बढ़ाएं।
- डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें: कई बार B12 के इंजेक्शन या सप्लीमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
- फिटनेस और एक्सरसाइज: एक्टिव लाइफस्टाइल शरीर के पोषण को सही तरीके से काम करने में मदद करती है।