अल्लाह व रसूल की मुहब्बत सभ्य समाज का निर्माण करती है : मुफ्ती सुल्तान रजा

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इस्लाम तौहीद व इंसानियत की शिक्षा देता है : मुफ्ती मुनव्वर

पैग़ंबरे इस्लाम ने दिया अमन का पैग़ाम : कारी अफजल

हज़रत मुबारक खां शहीद रहमतुल्लाह अलैह का तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक शुरू

गोरखपुर। नार्मल स्थित मरकजी दरगाह पर हजरत मुबारक खां शहीद रहमतुल्लाह अलैह का सालाना तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक शुक्रवार से शुरु हुआ। पहले दिन जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी व दस्तारबंदी का कार्यक्रम हुआ। हिफ्ज मुकम्मल करने वाले छात्रों के सिर पर अतिथियों ने दस्तार बांधकर फूल मालाओं, तोहफों व दुआओं से नवाजा। जलसे के बाद मजार शरीफ का गुस्ल हुआ। संदल पोशी की गई। दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क व पूरी दुनिया में मुहब्बत, तरक्की, अमन व सलामती की दुआ  मांगी गई।

मुख्य अतिथि सीवान (बिहार) के मुफ्ती सुल्तान रजा ने कहा कि अल्लाह व रसूल की मुहब्बत ज़िंदगी है और नफ़रत मौत। नफ़रत समाज को तोड़ती है और अल्लाह व रसूल की मुहब्बत सभ्य समाज का निर्माण करती है। नफरत आग लगाती है अल्लाह व रसूल की मुहब्बत उस आग को बुझाने का काम करती है। इस्लाम धर्म का संदेश मुहब्बत है। फैसला आपको करना है कि आप इस्लाम धर्म के साथ हैं या नहीं। आज के माहौल में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं पर अमल करके हम न सिर्फ अपने प्यारे देश बल्कि पूरे संसार में शांति स्थापित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह इल्म का दौर है, इसलिए अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करें, उन्हें आधुनिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा भी जरूर दिलाएं। बच्चों को आलिम के साथ बैरिस्टर, इंजीनियर और डॉक्टर बनाएं। उन्होंने अवाम से अपील किया कि अपने शहर व बस्ती में मदरसों के साथ स्कूल, कॉलेज व हॉस्टल बनाएं। बच्चों पर पैनी निगाह रखें। जब वो बालिग हो जाए तो बेहतर रिश्ता देखकर उनकी शादी करा दें, ताकि वो गलत कदम उठाने से बचें। नौजवान सोशल मीडिया का प्रयोग सावधानी से करें।

अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मुनव्वर रजा ने कहा कि इस्लाम तौहीद व इंसानियत की शिक्षा देता है। इस्लाम की शिक्षा में तौहीद, प्यार व भाईचारगी है। इस्लाम की सभी शिक्षा सिर्फ और सिर्फ इंसानियत की भलाई के लिए है। इंसानियत के हित में जितना भी तरीका और शिक्षा इस्लाम में दी गई वह कहीं और नहीं मिलेगी। इस्लाम की शिक्षा व मुहब्बत लोगों के दिलों में रचती बसती जा रही और लोग इस्लाम अपनाते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज मुसलमान बहुत परेशान हैं। तेल सहित तमाम खज़ाना है मुसलमानों के पास, लेकिन मुसलमान बर्बाद हो रहा है, ज़ुल्म का शिकार हो रहा है। इसकी मुख्य वजह पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं से दूरी है। जब तक हम अपने अंदर बदलाव नहीं लायेंगे तब तक हमारी स्थिति बदलने वाली नहीं है। पैग़ंबरे इस्लाम की ज़ात से खुद को जोड़ना होगा। सहाबा किराम वाला दीनी ज़ज़्बा पैदा करना होगा। क़ुरआन व हदीस पर अमल करना होगा। इल्म हासिल करना होगा। बुराईयों से दूरी बनानी होगी। दूसरों के दुख दर्द में शामिल होना होगा। सुन्नते नबवी पर चलना होगा। फर्ज की वक्तों पर अदायगी करनी होगी। तब जाकर हमारा भविष्य रोशन होगा।

संचालन करते हुए कारी अफजल बरकाती ने कहा कि पैग़बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमेशा अमन का पैग़ाम दिया। उनके अमन के पैग़ाम को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। पैग़ंबर इस्लाम की पूरी ज़िंदगी तमाम इंसानों के लिए आदर्श है। आप एक अच्छे रहबर, इंसान, आदर्श पिता, दोस्त, भाई तथा शौहर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं जिनके आदर्श पर चलकर किसी भी व्यक्ति का जीवन सफल हो सकता है। पैगंबरे इस्लाम से मुहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आख़िरी नबी हैं। आपके बाद अल्लाह ने नबुव्वत का दरवाज़ा बंद फरमा दिया है। अब कयामत तक कोई दूसरा नबी नहीं पैदा होगा। अगर कोई मुमकिन भी तसव्वुर करे तो इस्लाम धर्म से ख़ारिज है।

कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी नसीमुल्लाह ने की। नात-ए-पाक सरफराज हैदर, मौलाना अली अहमद आदि ने पेश की। जलसे में दरगाह सदर इकरार अहमद, हाजी कलीम फरजंद, हाजी खुर्शीद आलम खान, सैयद शहाब अहमद, कुतुबुद्दीन, रमज़ान, हमजा,मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही,अमीरुल्लाह आदि मौजूद रहे।

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