डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। हल्लौर गांव की जनता की उम्मीदें, शिकायतें और समस्याएं लेकर जब पंचायत भवन जाती है, तो वहां बड़ा सा ताला दिखता है, न कोई समाधान। ना कोई जिम्मेदारी, ना कोई जवाबदेही। यह भवन जो कभी जन सेवा का केंद्र होना चाहिए था, आज ताले, खाली कुर्सियाँ ग्राम प्रधान और अफसरों की गैरहाजिरी का अड्डा बन चुका है। लोगों को चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ते हैं, लेकिन नतीजा शून्य। भाजपा के नेता व समाज सेवी कसीम रिजवी का कहना है कि आधार कार्ड, मृत्यु प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जनता दर-दर भटक रहे हैं। कभी ब्लॉक के चक्कर,कभी तहसील के चक्कर , सिर्फ फोटो खिंचवाने और मीटिंग की खानापूर्ति के लिए है ये पंचायत भवन अगर जनता का कोई काम नहीं होता तो इसका यह वजूद क्यों है। गांव की असली जरूरत पंचायत भवन की सुविधा हर द्वार तक पहुंचे जैसे आधार कार्ड यहीं बने मृत्यु व जन्म प्रमाण पत्र यहीं बने सरकारी योजनाओं की जानकारी और फॉर्म यहीं भरें जाएं लोगों को तहसील के चक्कर न काटने पड़ें परन्तु यहां तो हर वक्त ताला बन्द रहता है। वहीं ग्राम प्रधान ताकीब रिजवी का कहना है कि पंचायत भवन हफ्ते में तीन दिन खुलता है और सब कर्मचारी वहां बैठते हैं।
सिर्फ एक इमारत बनकर रह गया है पंचायत भवन हल्लौर : कसीम रिजवी
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