कार्रवाई के बाद भी क्षेत्र मे बिक रहा है अवैध गुटखा।

0
71

मौदहा हमीरपुर: मौदहा तहसील में तंबाकू मिश्रित अवैध गुटके का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। “श्री किस्मत”, “नशा”, “छमिया”, “लैला-मजनूं” जैसे ब्रांडों के गुटके  खुले आम बिक रहे हैं। हाल ही में प्रशासन द्वारा छापेमारी के बावजूद कारोबार बेरोकटोक जारी है, जिससे खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोग अधिकारियों की निष्क्रियता पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, जो क्षेत्र में नियमित निरीक्षण करने में नाकाम रहे हैं।

छापेमारी के बाद भी बिक रहा गुटखा

इस संबंध में सहायक आयुक्त (खाद्य) डॉ. गौरी शंकर ने बताया, “विगत सप्ताह मौदहा के एक गुटका कारोबारी के यहां नायब तहसीलदार के साथ छापेमारी की गई थी। इस दौरान दो नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। यदि इसके बाद भी गुटखा बिक रहा है, तो पुनः विभागीय कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि छापेमारी के बाद भी “श्री किस्मत” जैसे अवैध गुटके की बिक्री बदस्तूर जारी है। यह स्थिति  गुटका माफिया के बेखौफ रवैये को दर्शाती है, जो शासन की नीतियों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

गुटके के कारोबार के लिए कानूनी नियम और लाइसेंस

भारत में तंबाकू मिश्रित गुटके और खाद्य पदार्थों का कारोबार खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006  के तहत नियंत्रित होता है। इसके तहत निम्नलिखित नियम और लाइसेंस अनिवार्य हैं:
FSSAI लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन:

खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य कारोबार का अनुज्ञापन और रजिस्‍ट्रीकरण) विनियम, 2011 के अनुसार, गुटके जैसे खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण या बिक्री के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी है।

छोटे कारोबारियों (वार्षिक टर्नओवर 12 लाख रुपये से कम) के लिए रजिस्ट्रेशन और बड़े कारोबारियों के लिए केंद्रीय या राज्य लाइसेंस अनिवार्य है।

बिना लाइसेंस कारोबार करना धारा 31 के तहत अपराध है, जिसके लिए 7 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध:

खाद्य सुरक्षा और मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बंधन) विनियम, 2011 के तहत तंबाकू या निकोटीन मिश्रित खाद्य पदार्थों (जैसे गुटका) को “खाद्य पदार्थ” के रूप में बेचना प्रतिबंधित है। उल्लंघन पर धारा 26 और 27 के तहत कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 के तहत तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर सख्त नियम हैं, जैसे स्कूलों के 100 मीटर दायरे में बिक्री पर रोक और पैकेजिंग पर चेतावनी अनिवार्य करना।

उत्पाद मानक और लेबलिंग:

खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार, उत्पाद पर सामग्री, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि और FSSAI लाइसेंस नंबर का उल्लेख अनिवार्य है। अवैध गुटके में ये मानक अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए खतरा है।

खाद्य सुरक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी:

धारा 30 के तहत, खाद्य सुरक्षा अधिकारी को नियमित निरीक्षण, नमूने एकत्र करने और अवैध कारोबार पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है। लापरवाही भ्रष्टाचार का संकेत हो सकती है।

जन स्वास्थ्य पर खतरा

मौदहा में अवैध गुटके का कारोबार कानून का उल्लंघन होने के साथ-साथ जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। तंबाकू मिश्रित गुटके में मौजूद हानिकारक रसायन मुंह के कैंसर, दांतों की सड़न और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं। बिना लाइसेंस और मानक के बिकने वाले ये उत्पाद संदूषित हो सकते हैं। स्थानीय लोग प्रशासन की निष्क्रियता से आक्रोशित हैं और गुटका माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन की लापरवाही

क्षेत्र में नियमित निरीक्षण न होने से गुटका माफिया का हौसला बढ़ा है। छापेमारी के बाद भी कारोबार का जारी रहना प्रशासन की कमजोर इच्छाशक्ति को दर्शाता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि खाद्य सुरक्षा विभाग इस अवैध कारोबार को रोकने में नाकाम रहा है।

आवश्यक कार्रवाई की मांग

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि:
अवैध गुटके की बिक्री पर तत्काल रोक लगे।
खाद्य सुरक्षा विभाग की भूमिका की जांच हो और लापरवाही पर कार्रवाई हो।
FSSAI नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित हो।
छापेमारी के बाद भी कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

क्योकि छापेमारी के बाद भी अवैध गुटके का कारोबार खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की खुली अवहेलना है। यह जनता की सेहत के लिए खतरा है। प्रशासन को तत्काल कदम उठाकर इस कारोबार पर रोक लगानी चाहिए और दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here