इससे पहले 1961 में नीलम संजीव रेड्डी की अध्यक्षता में भावनगर अधिवेशन हुआ था। जबकि 1885 में कांग्रेस की स्थापना के बाद अब तक पांच अधिवेशन हो चुके हैँ। अहमदाबाद में 1902 सुरेन्द्र नाथ बनर्जी की अध्यक्षता दिसंबर 1907 में सूरत में रास बिहारी घोष की अध्यक्षता में दिसंबर 1921 को हकीम अजमल खान और फरवरी 1938 में नेताजी बोस की अध्यक्षता में हरिपुरा में कांग्रेस की बैठक हुई थी।
गुजरात में छह दशक बाद हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन में वर्तमान दौर में राजनीति के बदले स्वरूप तथा वैचारिक लड़ाई की गंभीर हुई चुनौतियों से मुकाबला करने को लेकर देश भर से जुटने वाले अपने जमीनी नेताओं से चर्चा तो करेगी ही। साथ ही पार्टी का जोर इस पर सबसे अधिक होगा कि नीचे से लेकर उपर तक के संगठनात्मक ढांचे को इस दोहरी लड़ाई के लिए प्रभावी तरीके से तैयार किया जाए।
इसीलिए भाजपा सरकार तथा संघ परिवार से जुड़े राजनीतिक मुद्दों पर अपने नेताओं की वैचारिक दुविधा को कांग्रेस इस बैठक में जहां खत्म करने का प्रयास करेगी वहीं बूथ से लेकर एआईसीसी तक संगठन को शक्तिशाली और जुझारू बनाने पर भी दो दिनों तक मंथन करेगी। अधिवेशन में जिला अध्यक्षों से कांग्रेस उनके इलाके की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी रोकने से लेकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की निरंतर निगरानी करने जैसे मसले पर भी चर्चा करेगी।
गांधी-नेहरू-पटेल की विचारधारा पर फोकस
कांग्रेस नेतृत्व राजनीतिक चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए पार्टी की वैचारिक धारा की मजबूत को महत्वपूर्ण मानता है और इसलिए अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को होने वाले अपने अधिवेशन में गांधी-नेहरू-पटेल की विचाराधारा की विरासत पर ही टिके रहने का जमीनी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा।
कांग्रेस ने कहा भी है कि गांधी-सरदार की पावन भूमि पर 65 वर्ष के बाद गुजरात में पार्टी अपना यह महत्वपूर्ण अधिवेशन कर रही है। न्याय पथ पर संकल्प समर्पण और संघर्ष के अधिवेशन के मूल संदेश से भी साफ है कि कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की सामाजिक न्याय-सहभागिता की राजनीति की निरंतर की जा रही पैरोकारी को जमीनी स्तर पर अब पार्टी की रीति-नीति का भी हिस्सा बनाएगी।
देश भर से जुटेंगे कांग्रेसी
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी लगातार पार्टी जनों को कहते हुए आ रहा हैं कि वर्तमान समय में हमें केवल एक राजनीतिक दल से ही नहीं लड़ना है बल्कि इस पहलु का भी ध्यान रखना है कि लोकतंत्र तथा चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने वाली स्वायत्त संस्थाएं सत्ता नियंत्रित दिखाई दे रही हैँ। पार्टी इसे बड़ी लड़ाई मानती है और इसीलिए देश भर से जुटने वाले तीन हजार से अधिक अपने नेताओं को कांग्रेस की विचारधारा के प्रति संकल्पित-समर्पित होकर संघर्ष की राह पर आगे बढ़ने का संदेश देगी।
- आठ अप्रैल को पहले दिन कांग्रेस की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक सरदार पटेल स्मारक में होगी। दूसरे दिन एआईसीसी अधिवेशन साबरमती नदी के किनारे होगा। पार्टी नेतृत्व ने पिछले कुछ समय के दौरान एआइसीसी से लेकर कई राज्यों के संगठन में फेरबदल किया है। मगर पार्टी के कमजोर हो चुके ढांचे को प्रभावी बनाने के लिए यह काफी नहीं है। खासकर बूथ स्तर तक कार्यकताओं का ढांचा नहीं होना कांग्रेस की चुनावी शिकस्त की सबसे बड़ी कमजोरियों में एक है। इसीलिए ब्लॉक, जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन तैयार करने पर खरगे और राहुल गांधी की प्राथमिकता है।
खरगे की अध्यक्षता में छठा अधिवेशन
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल अधिवेशन के पहले से ही लगातार राज्य इकाईयों को इस बारे में दिशा-निर्देश भेजते रहे हैं। इस दिशा में पार्टी की सबसे बड़ी पहल अभी बीते 10 दिनों में देश भर के जिला अध्यक्षों के साथ शीर्ष नेतृत्व की बैठकों का दौर रहा। खरगे और राहुल ने अलग-अगल बैच में चार दिनों तक सभी जिलाध्यक्षों से संगठन तथा राजनीतिक चुनौतियों के मसले पर चर्चा की जिसके बाद शीर्ष नेतृत्व ने संगठन को मजबूत करने की कार्ययोजना की एक रूपरेखा इन्हें दी है।
जैसा कि कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि संगठन से लेकर देश के ज्वलंत मुद्दों तथा पार्टी की राजनीतिक चुनौतियों सब पर खुली चर्चा एआईसीसी अधिवेशन में होगी। मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में अहमदाबाद में होने वाली बैठक पार्टी का छठा अधिवेशन होगा।