हर्रैया, बस्ती। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और अधिकारियों की लापरवाही का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हर्रैया के 100 शैय्या अस्पताल में तैनात महिला चिकित्सक डॉ. अनीता वर्मा पर गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. अनीता वर्मा अपनी तैनाती हर्रैया में होने के बावजूद रसूख के बल पर बस्ती के जिला महिला अस्पताल में खुद को अटैच करवाकर मरीजों का इलाज कर रही हैं। इस दौरान न सिर्फ मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर कर धन उगाही का खेल चल रहा है, बल्कि महिला अस्पताल में भी ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूलने के आरोप है। डॉ. अनीता वर्मा की मूल तैनाती हर्रैया के 100 शैय्या अस्पताल में है, लेकिन वह वहां ड्यूटी करने के बजाय जिला महिला अस्पताल में मरीज देख रही हैं।
सूत्रों का दावा है कि जिला अस्पताल होने के कारण यहां मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है, जिसका फायदा उठाकर डॉ. अनीता मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजकर कमीशनखोरी कर रही हैं। वहीं, मरीजों के परिजनों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महिला अस्पताल में ऑपरेशन के लिए उनसे 5,000 से 7,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। इससे गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और वे मजबूरी में प्राइवेट इलाज के लिए विवश हो रहे हैं। हर्रैया के 100 शैय्या अस्पताल में डॉ. अनीता वर्मा की अनुपस्थिति के कारण वहां आने वाली महिला मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों का कहना है कि विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में उन्हें प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जहां इलाज का खर्च उनकी पहुंच से बाहर होता है।
इससे स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, जो गरीबों को मुफ्त और सस्ता इलाज देने का दावा करता है। इस मामले में हर्रैया के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ. सुषमा ने बताया कि उन्होंने डॉ. अनीता वर्मा को हर्रैया अस्पताल में भेजने के लिए कई बार पत्र लिखा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, अपर निदेशक (AD) डॉ. रामानंद ने कहा कि उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को डॉ. अनीता को हर्रैया भेजने के लिए सूचित कर दिया है। दूसरी ओर, बस्ती महिला अस्पताल के CMS डॉ. अनिल कुमार ने हैरान करने वाला बयान दिया। उनका कहना है कि CMO डॉ. अनीता वर्मा को रिलीव करने को तैयार नहीं हैं। अधिकारियों के ये बयान साफ तौर पर उनके बीच तालमेल की कमी और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश को दर्शाते हैं।
डॉ. अनीता वर्मा का रसूख इतना है कि AD, CMO और CMS जैसे बड़े अधिकारी भी उन्हें उनकी तैनाती स्थल पर भेजने में नाकाम साबित हो रहे हैं। हर स्तर पर गोलमोल जवाबों से साफ है कि स्वास्थ्य विभाग में अनुशासनहीनता चरम पर है। सवाल यह उठता है कि जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम बृजेश पाठक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए हैं, तब भी जिम्मेदार अधिकारी इतनी लापरवाही कैसे बरत रहे हैं? यह मामला सिर्फ डॉ. अनीता वर्मा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। एक ओर जहां सरकार मरीजों को मुफ्त इलाज और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो गरीब मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाने का सबूत हैं। हर्रैया के मरीजों की परेशानी और महिला अस्पताल में धन उगाही के आरोप स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता को कठघरे में खड़ा करते हैं।
मरीजों और स्थानीय लोगों ने इस मामले में उच्च अधिकारियों से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर डॉ. अनीता वर्मा को हर्रैया भेजा जाए और धन उगाही पर रोक लगे, तभी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संभव है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के दावों के बीच यह मामला कितनी गंभीरता से लिया जाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।