कोरोना वायरस का नाम सुनकर ही हमारी रूह कांप जाती है। लेकिन हाल ही में ब्राजील में नया नोवेल कोरोना वायरस (New Coronavirus in Brazil) सामने आया है जिसे लेकर वैज्ञानिक चिंता जता रहे हैं कि इससे इंसानों में संक्रमण का खतरा है या नहीं। इस वायरस की MERS वायरस से काफी समानताएं पाई गई हैं जिसके बारे में इस आर्टिकल में जानेंगे।
कोविड-19 महामारी जा चुकी है, लेकिन उसके जख्म आज भी हरे हैं। ऐसे में किसी भी नए वायरस का पता लगते ही मन में सबसे पहला ख्याल यहीं आता है कि कहीं यह भी महामारी की वजह नहीं बन जाएगा। यह सवाल एक बार फिर से उठ रहे हैं। ब्राजील में चमगादड़ में एक नया नोवेल कोरोना वायरस (New coronavirus in Brazil) पाया गया है, जो MERS (Middle East Respiratory Syndrome) वायरस से मिलता जुलता बताया जा रहा है।
MERS वायरस से समानताएं
जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में पब्लिश एक आर्टिकल में बताया गया है कि ब्राजील और चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने इस नए वायरस (Latest COVID variant) को खोजा है। ब्राजील में पाए गए इस वायरस में MERS-CoV जैसी कई समानताएं देखने को मिली हैं।
MERS-CoV वायरल रेस्पिरेटरी बीमारी का कारण बनता है, जिसमें बुखार, खांसी, बलगम, सांस लेने में तकलीफ जैसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया का रिस्क भी ज्यादा रहता है। इस वायरस के इन्फेक्शन की वजह से डायरिया जैसी पाचन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
इस नए वायरस को लेकर वैज्ञानिकों में चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है, क्योंकि इस नए वायरस के 72% जीनोम Mers-CoV जैसे पाए गए हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन (वायरस का वह हिस्सा, जो होस्ट सेल के साथ जुड़ता है) में Mers-CoV से मिलती समानता चिंता को बढ़ा रही है।
मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा
इस नए वायरस के मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने की आशंका इसलिए जताई जा रही है, क्योंकि यह SARS-CoV-2 से कुछ समानताएं रखता है। रिसर्चर्स ने पाया कि यह वायरस ह्युमन सेल्स से जुड़ने में सक्षम हो सकता है, जो इन्फेक्शन का अहम कारण बन सकता है। हालांकि, अभी तक इस बात को साफतौर से नहीं कहा जा सकता है कि यह वायरस मनुष्यों में बीमारी का कारण बन सकता है या नहीं। फिर भी, इसकी संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस वायरस से इंसानों को कितना खतरा हो सकता है और यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों और टेस्ट करने की जरूरत है। इस स्टडी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि बैट्स वायरस का नेचुरल रिजर्वोयर हैं। इसलिए इनकी समय-समय पर जांच करना जरूरी है, ताकि इंसानों की सेहत को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके।