प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वाधान में

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कस्बा बांसी में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर आयोजन सम्पन्न

ललितपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वाधान में कस्बा बांसी में महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ परमात्मा स्मृति का गीत बीके गीता बहन ने गाकर किया तथा परमात्मा शिव की आरती की गई। मंच का संचालन राजयोगिनी बीके माया रानी दीदी ने किया। राजयोगिनी बीके चित्ररेखा दीदी जी ने शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि शिव के साथ रात्रि का क्या सम्बन्ध है? कृष्ण के साथ अष्टमी और राम के साथ नवमी तिथि जुड़ी हुई है परन्तु शिव के साथ रात्रि ही जुड़ी है, कोई तिथि क्यों नहीं जुड़ी हुई है? अन्य सभी देवताओं पर अच्छे और स्वादिष्ट प्रसाद चढ़ाये जाते हैं परन्तु शिव पर आक का फूल और धतूरा ही क्यों चढ़ाया जाता है। क्योंकि शिव की मूर्ति शरीर रहित है परन्तु उनका वाहन नन्दी शरीरधारी क्यों है ? महाशिवरात्रि के पर्व को यथार्थ ढंग से मना कर संसार को सही दिशा दी जा सकती है एवं मानव मन में व्याप्त अज्ञानता और तमोगुणी आसुरी संस्कारों का नाश किया जा सकता है। महाशिवरात्रि के सम्बन्ध में सबसे अनोखी बात यह है कि इसका सम्बन्ध निराकार, अशरीरी परमात्मा से है। अत: शिवरात्रि परमात्मा शिव के इस धरा पर अवतरण की यादगार है। परमात्मा शिव, सामान्य मनुष्यों की तरह शरीरधारी नहीं हैं और जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्त है। गीता में भगवान ने इस सम्बन्ध में कहा है वे कहते हैं मेरे दिव्य जन्म के रहस्य को न महर्षि, न देवता जानते हैं। प्राय: सभी धर्मों के लोग परमात्मा को ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप और अशरीरी तथा जन्म-मरण रहित तो स्वीकार करते ही हैं। अत: शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण दिवस की यादगार है। यह तो सभी मानते ही हैं कि परमात्मा का अवतरण पापाचार, अधर्म और अज्ञानता का विनाश करके सत्य धर्म की स्थापना करने के महान कर्म के निमित्त है। यदि वर्तमान समय संसार चारों ओर व्याप्त काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, भ्रष्टाचार मे डूबा हुआ है।
वह समय आ पहुंचा है। जब भगवान जगत के कल्याण के लिए मानवता को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए इस धरा पर अवतरित होकर 89 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। प्यारे भाई-बहनों उठो, जागो, समय को पहचानो और अपने जीवन को विकारों से, बुराइयों से, दुर्गुणों से, व्यसनों से और फैशन से मुक्त करके पिता परमात्मा के बताएं। मार्ग पर चलकर अपने जीवन को धन्य धन्य बनाओ। परमात्मा शिव पर यथार्थ रूप से क्या चढ़ाना चाहिए और किस प्रकार से व्रत का पालन करना चाहिए? इसके आध्यात्मिक रहस्य को समझने की आवश्यकता है तभी स्वयं का और सम्पूर्ण विश्व का कल्याण सम्भव है । धतूरा विकार का, बेर- नफरत घृणा का और बेलपत्र बुराइयों का प्रतीक है। अत: हमें परमात्मा शिव पर विकारों, विषय- वासना एवं बुरी आदतों को चढ़ाना चाहिए अर्थात् त्याग करना चाहिए। वास्तव में, शिवरात्रि वर्तमान कलियुग के अन्त और सतयुग के प्रारम्भ में बीच के समय संगमयुग का नाम है, जब स्वयं निराकार परमपिता शिव, साकार मानव-तन प्रजापिता ब्रह्मा (पौराणिक नाम नन्दीगण) के तन में अवतरित होकर मनुष्यात्माओं से विकारों और बुराइयों का, ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर त्याग करते हैं। बीके निशा बहन ने मेडिटेशन कराया एवं जाखौरा से आए हुए छोटे छोटे बच्चों ने अंतिम घडिय़ां ड्रामा के माध्यम से लोगों को कर्म गति का संदेश दिया। बीके प्रीती दीदी ने सभी का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का लाभ लेते हुए ग्राम दैवी भ्राता प्रधान हरिकिशन झां ने अपनी शुभकामनाएं प्रधान की और संस्था के कार्य की प्रशंसा की। कार्यक्रम का लाभ बांसी नगर की गणमान्य भाई-बहनों ने लिया। इस कार्यक्रम में बीके विद्यासागर भाई, बीके पूजा बहन, बीके शिवानी बहन, बीके सिरनाम भाई, राकेश भाई उपस्थित रहे।
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