Tuesday, May 13, 2025
spot_img
HomeMarqueeइसी रात को इंसान के अच्छे और बुरे कामों का लिखा जाता...

इसी रात को इंसान के अच्छे और बुरे कामों का लिखा जाता हिसाब

महोबा। इबादत व मगफिरत की रात का शब-ए-बारात त्योहार इस्लामी कैलेंडर के शाबान महीना के 15 तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है और इस बार यह त्योहार 13 फरवरी को मनाया जाएगा। जिले में शब-ए-बरात त्योहार पर मस्जिदों में इबादत के लिए आने वाले लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए माकूल इंतजाम किए जा रहे है, इसके लिए मस्जिदों की पहले से साफ सफाई कर बिजली की आकर्षक सजावट भी की जा रही हैं और शाम ढलते ही मस्जिदों में इबादत करने वाले लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो जाएगी है। पूरी रात इबादत में गुजरने के बाद ज्यादातर लोग सहरी करने के बाद रोजा रखते हैं। शब-ए-बारात त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने अपने मरहूमों की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़कर उनके लिए दुआएं भी करते है।
हाजी सुब्हान साहब ने शब-ए-बरात त्योहार का मतलब बताते हुए कहा कि शब का मतलब होता है रात और बरात का अर्थ होता है बरी होना। इस्लामिक कैलेंडर के माह शाबान की 14 तारीख को सूरज ढलते के बाद आने वाली 15 तरीख की रात को शब-ए-बारात का त्योहार मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत और तिलाबत करके पूरी रात गुजारते हैं और अपने गुनहों की तौबा कर अल्लाह से माफी मांगते हैं। बताया कि इस रात को लोग अपने उन रिश्तेदारों के लिए मगफिरत की दुआएं करते हैं जो इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं और मरहूमों की कब्र पर जाकर भी लोग दुआएं करते हैं। बताया कि इस रात को हर इंसान के अच्छे बुरे सभी कार्यों का हिसाब लिखा जाता है।
सुब्हान साहब ने बताया कि शब-ए-बारात के त्योहार पर किसी भी प्रकार की आतिशबाजी, शोर शराबा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह रात इबादत की रात होती है। इस मुबारक रात में गुस्ल करना, अच्छे और पाक कपड़े पहनना, आंखों में सुरमा लगाना, मिसवाक करना, इत्र लगाना, कब्रों की जियारत करना, फातिहा, खैरात करना, नफिल के साथ साथ तहज्जुद की नमाज अदा करना के अलावा नेक काम करना चाहिए। कहा कि शब-ए-बारात की पूरी रात इबादत करने के बाद रोजा रखने का फायदा यह है कि बंदा अपने आपको रमजान का रोजा रखने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करता है। शबे बारात की रात के बारे में बहुत फजीलतें आई हैं। हदीसों में आया है कि यह मगफिरत की रात है। अल्लाह तआला इस रात में अपने बंदों के गुनाहों को माफ करते हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular