शिक्षकों और अभिभावकों के बीच सहयोग, बच्चे की शैक्षिक सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है – राजेश यादव
दूबेपुर, सुल्तानपुर। शैक्षणिक उपलब्धियों से लेकर समग्र विकास तक, शिक्षक-अभिभावक संबंधों के लाभ बच्चों के लिए प्रचुर मात्रा में सकारात्मक परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं। साझा दृष्टिकोण, आपसी समझ और अटूट समर्थन के माध्यम से, आप सीखने के अनुभवों को समृद्ध कर सकते हैं और भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।
उक्त बातें दूबेपुर ब्लॉक के दिखौली स्थित शिव शक्ति बालिका इंटर कॉलेज की प्रबंधक सुधा सिंह ने कहा, श्रीमती सिंह ने कहा कि अब स्कूल को योग्य एवं अनुभवी शिक्षको द्वारा चलाया जाएगा, जहा बच्चो व अभिभावको को हर तरह की सुविधा मिल सके, प्ले ग्रुप से कक्षा पाच तक निशुल्क प्रवेश भी दिया जा रहा है।
वहीं *शिव शक्ति बालिका इंटर कॉलेज के प्राचार्य राजेश यादव* ने कहा कि अभिभावक-शिक्षक सम्मेलन आम तौर पर प्रगति रिपोर्टिंग अवधि में साल में एक या दो बार होते हैं। वे संक्षिप्त बैठकें होती हैं, जो लगभग 10-30 मिनट तक चलती हैं। सम्मेलन आम तौर पर 1 से 2 महीने पहले निर्धारित किए जाते हैं। कुछ मिडिल और हाई स्कूल केवल समस्याओं पर चर्चा करने के लिए अभिभावक सम्मेलनों का अनुरोध करते हैं। अधिकांश स्कूल सम्मेलनों के लिए विशिष्ट तिथियाँ और समय निर्धारित करते हैं, लेकिन यदि स्कूल का शेड्यूल परिवार के शेड्यूल से टकराता है, तो पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय खोजने या फ़ोन या वीडियो कॉन्फ़्रेंस शेड्यूल करने का प्रयास करना उचित है। तलाकशुदा माता-पिता, एकल माता-पिता या संरक्षकता जैसी विशेष स्थितियों के प्रति सावधान रहें। उदाहरण के लिए, कुछ तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग सम्मेलनों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
(3)माननीय उच्च न्यायालय की फटकार के बाद बढ़ सकती है कुड़वार पुलिस की मुश्किलें–
सार्वजनिक मार्ग पर दीवाल खड़ी करने पर हुई शिकायत में एस डी एम सदर की जांच रिपोर्ट में हुई थी पुष्टि।
कुड़वार,सुल्तानपुर।कई मामलों में अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में कुड़वार थाना प्रभारी की भूमिका इन दिनों सवालों के घेरे में है।माननीय उच्च न्यायालय का आदेश उनके लिये मायने नही रखता।हालांकि नाराज उच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बाद एसओ की भूमिका की जांच शुरू हो गयी है।
मामला कुड़वार थानांतर्गत बभनगंवा की है।अधिवक्ता आलोक कीर्ति मिश्रा ने सार्वजनिक रास्ते पर दीवाल उठाकर अतिक्रमण की शिकायत की थी जिसमे कुड़वार थाने की पुलिस पर मामले में संलिप्तता का आरोप था।कोई करवाई न होने पर पीड़ित अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय की सरण ली।मामले की सुनवाई न्यायालय राजन राय व ओमप्रकाश शुक्ल की डबल बेंच में हुई जिसमें एसडीएम सदर से मौका स्थल की जांच रिपोर्ट मांगी थी।जांच रिपोर्ट में सार्वजनिक मार्ग पर अबैध कब्जे की पुष्टि होने पर न्यायाधीश ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुऐ एसडीएम सदर को दीवार हटवाने का व मलवा हटवाकर रास्ता बहाल करने का निर्देश दिया था वही थानाध्यक्ष की भूमिका की जांच का निर्देश पुलिस अधीक्षक को दिया था।जिसकी जांच अपर पुलिस अधीक्षक अखण्ड प्रताप सिंह को सौंपी गई है।
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